कातो, मार्कस पोर्सियस (९५-४६ ई.पू.) रोमन दार्शनिक, जो राजनीति और युद्ध में भी रुचि लेता था। पांपे और जूलियस सीज़र के बीच हुए युद्ध में उसने पांपे का पक्ष लिया जिसकी पराजय होने पर उसने आत्महत्या कर ली। बताया जाता है, मरते समय तक अफ़लातून (प्लेटो) के 'डायलाग' का 'आत्मा की अमरता' वाला भाग पढ़ता रहा, यद्यपि स्वयं उसने भविष्य की अपेक्षा तत्कालकर्तव्य को सदैव अधिक महत्वपूर्ण समझा। इसी तरह राजनीति में तो वह अराजकतावादी, सिद्धांतत: स्वतंत्र राज्य का समर्थक था। उसकी मृत्यु के उपरांत उसका चरित्र चर्चा का विषय बना-सिसरो ने 'कातो' लिखा और सीज़र ने 'अंतीकातो'। ब्रूतस ने कातो को सद्गुणों और आत्मत्याग का आदर्श बताया।
(श्री.स.)