कागज चिपकाना पलस्तर की हुई दीवारों पर कभी-कभी सफेदी या डिस्टेंपर करने के बजाय रंग बिरंगा कागज चिपका दिया जाता है, जिससे दीवारों का सूनापन और नीरसता दूर हो जाती है और कमरा सुंदर प्रतीत होने लगता है। कागज चिपकाने का प्रचलन इंग्लैंड आदि देशों में बहुत है। भारत की तेज गरमी में कागज बहुधा उखड़ जाता है। दीवारों की सजावट का कागज प्राय: तीन प्रकार का होता है।

लुगदी से बने कागज की पृष्ठभूमि स्वाभाविक रंग की होती है। छपाई द्वारा उसे चित्रित कर लिया जाता है। साटन कागज, साटन की भाँति चमकदार होता है। साधारण कागज पर रंग करके उसपर खड़िया (सेलखड़ी) से पालिश कर दी जाती है। बादलों की भाँति चित्रित, भड़कीला तथा चमकीला होने से इसको 'अबरी' (फ़ारसी अब्र, बादल) भी कहते हैं। इसपर आर्द्रता का विशेष प्रभाव पड़ता है, अत: इसे सूखी दीवारों पर बहुत सावधानी से सादे कागज पर अस्तर देकर लगाना चाहिए। चिकना होने के कारण अबरी पर धूल नहीं जमती और वह शीघ्र गंदा नहीं होता। तीसरा रोएँदार कागज होता है। छापों द्वारा पहले सरेस से, फिर वार्निश से कागज पर आलेख (चित्र) कर दिए जाते हैं। फिर उनपर काग (कॉर्क) का चूर्ण या ऊन की बारीक कतरन छिड़क दी जाती है, जो वार्निश में चिपककर कागज के पृष्ठ को आकर्षक बना देती है। इसका उपयोग बड़ी सावधानी से किया जाता है। कहीं-कहीं तो किरमिच (कैनवस) का कपड़ा लगाकर उसपर कागज का अस्तर चढ़ाया जाता है। फिर उसके ऊपर यह कागज चिपकाया जाता है।

१६वीं शतब्दी के अंत में जब पूर्व में डच, अंग्रेज, और फ्रांसीसी व्यापारिक कंपनियाँ स्थापित हुईं, चीनियों ने अपने यहाँ उपयोग में आनेवाला कलापूर्ण और चित्रित कागज उन व्यापारियों को भेंट किया। फलत:, यूरोप में राजमहलों और संपन्न घरानों में जरी आदि के कपड़ों और ठप्पे लगे हुए चमड़ों के रूप में प्रयुक्त होनेवाले बहुमूल्य आवरण के स्थान पर इन कागजों का उपयोग दीवारों को ढकने के लिए बहुत होने लगा। माँग बढ़ने पर चिपकानेवाले कागज का बनना आरंभ हो गया। फिर उन देशों में भी भाँति-भाँति के कागज बनने लगे। विक्टोरिया काल में सजावट की प्रवृत्ति सीमा लाँघ गई, किंतु मशीन से बने कागज में हाथ से बने चीनी कागज के समान चित्रांकन सौंदर्य तथा विविधता न आ पाई। अत: इंग्लैंड में १९वीं शताब्दी के पश्चात् सजावट की इस प्रथा में शिथिलता आ गई। अब फिर इस कला को सजीव बनाने के प्रयत्न हो रहे हैं। अब तो कुछ ऐसे कागज भी बनने लगे हैं जो पानी से धोकर साफ किए जा सकते हैं। इनपर प्लास्टिक का लेप रहता है।

भारत में कागज चिपकाकर दीवारें सजाने का प्रचलन पहाड़ों पर था, किंतु दिन-प्रति-दिन घट रहा है। सजावट का कागज यहाँ नहीं बनता। इंग्लैंड, फ्रांस और अन्य देशों से ही आता है।

सं.ग्रं.-एन. चौधरी : इंजीनियरिंग मैटीरियल्स।