काउत्स्की, कार्ल (१८५४-१९३८) इस जर्मन मार्क्सवादी का जन्म १० अक्टूबर, सन् १८५४ ई. को प्राग में हुआ था। यह मार्क्स का मिस्र तथा प्रिय शिष्य था और एंगेल्स की मृत्यु के बाद इसको ही मार्क्सवादी दर्शन का सबसे बड़ा व्याख्याकार माना जाता था। सन् १८८३ ई. में इसने एक समाजवादी पत्र निकालना प्रारंभ किया जो सन् १९१७ तक निकलता रहा। सन् १८९१ ई. की एरफ़ुर्ट योजना के प्रवर्तक के रूप में इसने मार्क्सवादी विचारधारा को रूपांतरित करने के आंदोलन का विरोध किया। सन् १९१४ ई. में प्रथम महायुद्ध का प्रारंभ होने पर इसने शांतिवादी दृष्टिकोण अपनाया और सन् १९१७ ई. में इंडिपेंडेंट सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी में सम्मिलित हुआ। यह रूसी क्रांति के सर्वथा विरुद्ध था तथा लेनिन, त्रात्स्की आदि रूसी नेताओं के विरुद्ध इसने काफी प्रचार किया। इसने अपनी पुस्तक 'डिक्टेटरशिप ऑव द प्रालिटेरियट' में लेनिन के सिद्धांतों तथा सर्वहारा वर्ग के अधिनायकत्व की स्थापना का खंडन किया और यह सिद्ध करने की चेष्टा की कि रूसी क्रांति पूँजीपतियों की क्रांति है। यह सन् १९३४ ई. में चेकोस्लोवाकिया का नागरिक बना। परंतु रहता वियना ही में था और वहीं से आस्ट्रिया के समाजवादी दल का निर्देशन करता रहा। मार्च, सन् १९३२ ई. में, जब जर्मन सेनाओं ने आस्ट्रिया में प्रवेश किया तब, इसने चेकोस्लोवाकिया में भाग कर शरण ली। परंतु शीघ्र ही इसे वहाँ से आंटर्डम भागना पड़ा जहाँ १७ अक्टूबर, सन् १९३८ ई. को इसका निधन हो गया। (रा.अ.)