काउंटी न्यायालय वर्तमान काउंटी न्यायालय सर्वप्रथम काउंटी न्यायालय अधिनियम, १८४६, के अंतर्गत स्थापित किए गए थे। आजकल ये न्यायालय अन्य अधिनियम द्वारा संशोधित कांउटी न्यायालय अधिनियम, १९३४, से नियंत्रित होते हैं। ये व्यवहार विषयक लघु विवादों में अपना निर्णय देते हैं। इनके न्यायाधीश लार्ड चांसलर द्वारा उन वकीलों में से नियुक्त किए जाते हैं जो सात वर्ष तक वकालत कर चुके हाते हैं। निर्धारित मूल्यों के अनुबंध (कांट्रैक्ट) से संबंधित ऋण और किसी त्रुटि (टार्ट) से संबंधित हानि के विवाद, निर्धारित वार्षिक मूल्य अथवा लगान (अथवा किराया) की भूमि के विवाद, और न्याय्यता (ईक्विटी) और प्रमाण (प्रोबेट) विषयक निर्धारित मूल्य के विवाद इन न्यायालयों द्वारा तय किए जाते हैं। कुछ काउंटी न्यायालयों को परिमित नौकाधिकरण (ऐडमिरैल्टी) विषयक क्षेत्राधिकार भी प्राप्त हैं। ये किसी भी मूल्य के उन विवादों को भी तय करते हैं जो दोनों पक्षों की सम्मिलित राय से उनके समक्ष प्रस्तुत किए गए हों अथवा उच्च न्यायालय द्वारा प्रेषित किए गए हों। इन न्यायालयों को विभिन्न अधिनियमों के अंतर्गत, जिनमें दिवाला, किराया, रहन और कृषि आदि से संबंधित अधिनियम उल्लेखनीय हैं, विशेष क्षेत्राधिकार भी प्राप्त हैं। इन न्यायालयों की प्रक्रिया सरल है और विवादों में उच्च न्यायालय की अपेक्षा व्यय भी कम होता है। इसलिए ये न्यायालय अति लोकप्रिय हो गए हैं। विधि संबंधी प्रश्नों पर इन न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपील-न्यायालय (कोर्ट ऑव अपील) में अपील की जा सकती है। (जि.कु.मि.)