कांपटन, आर्थर हॉली का जन्म अमरीका के वूस्टर नामक नगर में १० सितंबर, १८९२ ई. को हुआ। इनकी शिक्षा पहले वूस्टर विद्यालय में और फिर प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में हुई। प्रिंस्टन विश्वविद्यालय ने इन्हें सन् १९१६ में पी.एच.डी.की उपाधि प्रदान की। कांपटन (कॉम्पटन) सन् १९२० से १९२३ तक वाशिंगटन विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रधानाध्यापक रहे, तत्पश्चात् शिकागो विश्वविद्यालय में इनकी नियुक्ति हुई। सन् १९४५ में कांपटन वांशिगटन विश्वविद्यालय के कुलपति हुए। विश्वविद्यालयों में काम करने के साथ ही 'जेनरल इलेक्ट्रिक कंपनी' को इन्होंने गवेषणा कार्य में सन् १९२६ से १९४५तक महत्वपूर्ण सहायता दी। द्वितीय महायुद्ध के समय, सन् १९४२ से १९४५ तक, ये 'मेटालर्जिकल ऐटॉमिक प्रोजेक्ट' के संचालक रहे।

कांपटन का प्रमुख कार्य एक्स-रे के संबंध में है। एक्स-रे के गुणधर्म कतिपय क्षेत्रों में विद्युच्चुंबकीय तरंगों के समान होते हैं (द्र. 'एक्स-रे की प्रकृति')। किंतु एक्स-रे किरणों का प्रकीर्णन (स्कैटरिंग, scattering) होने के पश्चात् प्रकीरित एक्स-रे के तंरगदैर्ध्य में परिवर्तन हो जाता है। इसको 'कांपटन परिणाम' कहते हैं। (द्र. 'कांपटन परिणाम')। इस महत्वपूर्ण आविष्कार के कारण सन् १९२७ में कांपटन को विश्वविख्यात नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस परिणाम के अतिरिक्त एक्स-रे का संपूर्ण परावर्तन, विवर्तन ग्रेटिंग (डफ्ऱैिक्शन ग्रेटिंग, diffiaction grating) से एक्स-रे का वर्णक्रम, इत्यादि विषयों में इनके कार्य सुप्रसिद्ध है। अंतरिक्ष किरण (कोस्मिक रेज़, cosmic rays) संबंधी क्षेत्र में भी इनके आविष्कार महत्वपूर्ण हैं। कांपटन की प्रकाशित रचनाओं में एलिसन की सहायता से लिखा हुआ ग्रंथ एक-रेज़ : थियरी ऐंड प्रैक्टिस विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

सं.ग्रं.–नील्स एच.डी.वी. हीथकोट : नोबेल प्राइज़विनर्स इन फ़िजिक्स। (दे.र.भ.)