कांटॉर, जॉर्ज (Georg Cantor, १८४५ई. - १९१८ ई.) जर्मन गणितज्ञ थे। इनका जन्म ३ मार्च, १८४५ ई. को पीट्रोग्राड में एक यहूदी परिवार में हुआ था। १८६३ ई. से १८६९ ई. तक इन्होंने बर्लिन में गणित, दर्शन शास्त्र और भौतिको का अध्ययन किया। १८६७ ई. में इनकी अनिर्णीत समीकरण कय२अखर२अगल२ उ ०,(ax2+ by2+cz2 = ०) के हल से संबंधित, गाउस द्वारा अवशिष्ट एक कठिन समस्या के हल पर पी.एच.डी. उपाधि प्रदान की गई। हाले (क्तaथ्थ्ड्ढ) में ये १८६९ ई में प्राध्यापक (लेक्चरर), १८७२ ई. में गणित के असाधारण और १८७९ ई. में साधारण प्रोफेसर नियुक्त हुए। १८७४ ई. में इनका प्रथम क्रांतिकारी शोधपत्र प्रकाशित हुआ, जिसमें इन्होंने 'संख्याओं के कांटॉर सिद्धांत' की व्याख्या की प्रकाशित हुआ, जिसमें इन्होंने 'संख्याओं के कांटॉर सिद्धांत' की व्याख्या की थी। इस सिद्धांत के अनुसार कोई अपरिमेय संख्या उस एक अनंत अनुक्रम क१, क२, क३...कन...(a1, a2, a3... ann...) से प्राप्त की जा सकती है, जिसमें यनि न (n) और म (m) के मान पर्याप्त हों, तो कन- कम। <Å I (an-amI <Å)। तदुपरांत इन्होंने इसपर अनेक महत्वपूर्ण शोधपत्र लिखे। (रा.कु.)