कश्मीरी, आग़ा हश्र (१८७९-१९३५) इनका पूरा नाम आग़ा मुहम्मद शाह और उपनाम 'हश्र' था। इनके पिता आग़ा ग़्नाी शाह १८ वर्ष की आयु में श्रीनगर (कश्मीर) से वाराणसी आए और यही बस गए। वाराणसी में ४ अप्रैल, १८७९ ई. को आग़ा हश्र का जन्म हुआ। अग़ा हश्र की आरंभिक शिक्षा घर पर अरबी, फारसी के धार्मिक ग्रंथों से हुई। जयनारायण स्कूल, बनारस में आपने छठी कक्षा तक अंग्रेजी तथा हिंदी के अतिरिक्त अन्य विषय भी पढ़े। तत्पश्चात् नाटक और शायरी में रुचि लेने लगे। सैयद अहसन लखनवी कृत 'चंद्रावली' नाटक के जवाब में आग़ा हश्र ने सन् १८९७ ई. में अपना पहला नाटक 'आफ़ताबे मुहब्बत' लिखा। इनके पिता इन्हें नगरपालिका में बिल कलक्टर के स्थान पर नियुक्त कराना चाहते थे। लेकिन उक्त पद के लिए नगरपालिका में जमानत के तौर पर जमा किए जानेवाले रुपए लेकर ये १८९८ ई. में बंबई चले गए और कुछ दिन बाद वहाँ 'अल्फ्रड़े कंपनी' के मालिक कावस जी खटाऊ के यहाँ नाटक लिखने पर ३५ रुपए महीने की नौकरी कर ली। सन् १९१० ई. में आग़ा हश्र ने 'द ग्रेट अल्फ्रड़े थियेट्रिकल कंपनी ऑव हैदराबाद' का गठन किया। इसके टूट जाने के बाद उन्होंने सन् १९१३ ई. में 'इंडियन शेक्सपियर थियेट्रिकल कंपनी' की स्थापना लाहौर में की। लेकिन सन् १९१७ ई. में यह भी टूट गई। पश्चात् आग़ा हश्र ने एक हजार रुपए माहवार पर जे.एफ. मदन थियेटर में नौकरी कर ली। कुछ दिनों बाद उन्होंने मदन थियेटर से भी इस्तीफा दे दिया और १९२५ ई. में बनारस में 'द ग्रेट शेक्सपियर थियेट्रिकल कंपनी ऑव कलकत्ता' कायम की जो तीन साल बाद खत्म हो गई। सन् १९२९-३० ई. में आग़ा हश्र पुन: 'मदन थियेटर' में नौकर हो गए और रंगमंच के लिए नाटक लिखने लगे। पश्चात् उन्होंने 'ईस्ट इंडिया (फिल्म) कंपनी' और 'न्यू थियेटर्स' के लिए फिल्मी कहानियाँ लिखीं। सन् १९३४ ई. में ये लाहौर चले गए। वहाँ हश्र पिक्चर्स नामक फिल्म कंपनी स्थापित की और 'भीष्म' नामक फिल्म की शूटिंग हो ही रही थी कि २८ अप्रैल, १९३५ ई. को लाहौर में ही इनका लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया।

आग़ा हश्र ने रंगमच के लिए कुल २७ नाटक लिखे हैं :

१. आफ़ताबे मुहब्बत (१८९७), २. मुरीदे शक (द विंटर्स टेल का रूपांतर, १८९९), ३. मारे आस्तीन, ४. असीरे हिर्स (शेरिडन के नाटक पिज़ारो से कुछ कथांश लेकर, १९०२), ५. दोरंगी दुनिया उर्फ मीठी छुरी, ६. दामे हुस्न (मेजर फ़ॉर मेज़र से कुछ कथांश लेकर), ७. सुफेद खून (किंग लियर से कुछ कथांश लेकर, १९०६), ८. सैदे हवस (पहला दृश्य किंग लियर से लेकर, १९०७), ९. ख़्वाबे हस्ती (१९०८), १०. खूबसूरत बला (१९०९), ११. सिल्वर किंग उर्फ जुर्मे वफ़ा (इसी को दुबारा नेक परवीन नाम से लिखा, १९११), १२. यहूदी की लड़की (१९१३), १३. बिल्वमंगल (१९१५) १४. बनदेवी (१९१६), १५. मधुर मुरली (१९१८-१९), १६. भगीरथ गंगा (१९२०, १७. भारत रमणी (१९२०), १८. प्राचीन और नवीन भारत (१९२१), १९. तुर्की हूर (१९२२), २०. पहला प्यार (१९२३), २१. आँख का नशा (१९२४), २२. भीष्म, २३. सीता बनवास (१९२७), २८. रुस्तम सोहराब (१९२९), २५. धर्मी बालक उर्फ गरीब की दुनिया (१९३०), २६. भारतीय बालक उर्फ समाज का शिकार (१९३१) तथा २७. दिल की प्यास (१९३२ ई.)। (अ.कु.न.)