कल्प (१) इस नाम के चार व्यक्ति हुए हैं जिनमें एक राजा उत्तानपाद के पुत्र प्रसिद्ध भक्त ध्रव के पुत्र थे। इनकी माता शिशुपाल की कन्या भ्रमी थी। इनकी विस्तृत कथा श्रीमद्भगवत में दी गई हैं। इनके भाई का नाम वत्सल था। दूसरे कल्प यदुवंशी वसुदेव के पुत्र थे जिनकी माता का नाम उपदेवा था। उपदेवा के दस पुत्र हुए जिनमें कल्प के अतिरिक्त राजन्य तथा वर्ष भी थे। इनकी कथा भी भागवत में है। तीसरे कल्प हिरण्यकशिपु की बहन सिंहिका के १३ पुत्रों में से एक थे। इनके पिता का नाम विप्रचिति था। इनकी कथा मत्स्यपुराण में है। चौथे कल्प एक महर्षि थे जिनकी कथा स्कंदपुराण में मिलती है। इन्होंने सिंधुपति विश्वावसु की एक कन्या को पाला था जिसका विवाह नेपाल के राजा दुर्दर्श से हुआ।

(२) सृष्टिक्रम और विकास की गणना के लिए कल्प हिंदुओं का एक परम प्रसिद्ध मापदंड है। जैसे मानव की साधारण आयु सौ वर्ष है, वैसे ही सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की भी आयु सौ वर्ष मानी गई है, परंतु दोनों गणनाओं में बड़ा अंतर है। ब्रह्मा का एक दिन कल्प कहलाता है, उसके बाद प्रलय होता है। प्रलय ब्रह्मा की एक रात है जिसके पश्चात् फिर नई सृष्टि होती है। चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं। १,००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है। ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि। प्रत्येक कल्प के १४भाग होते हैं और इन भागों को मन्वंतर कहते हैं। प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष् आदि १४ मनु हैं। प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं। इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात् श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है। वर्तमान मनु का नाम वैवस्वत मनु है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात् कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है।

युगों की अवधि इस प्रकार हैसत्युग १७,२८,००० वर्ष; त्रेता १२,९६,००० वर्ष; द्वापर ८,६४,००० वर्ष और कलियुग ४,३२,००० वर्ष। अतएव एक कल्प चार अरब बत्तीस करोड़ (४,३२,००,०००) वर्ष का हुआ। (रा.द्वि.)