कलमा यह वाक्य जो इस्लाम धर्म का मूल मंत्र है। यथा'ला इलाह इल्लिल्लाह मुहम्मद उर् रसूलुल्लाह।' यह अरबी भाषा में हें और कुरान शरीफ के तीसरे पारे (अध्याय) से लिया गया है। इसका अर्थ है, 'अल्लाह के सिवा दूसरा कोई भी ऐसा नहीं है जिसकी इबादत (पूजा) की जा सके और उस अल्लाह के पैगंबर हैं।' मुसलमान किसी भी अच्छे काम को शुरू करे वक्त कलमा पढ़ते हैं। नमाज के वक्त और किसी भी व्यक्ति के इस्लाम में दीक्षित होने के समय इसे पढ़ा जाता है। (कै.चं.श.)