कर्बला (अथवा मशहदुलहुसेन) इराक का एक नगर जो कूफ़ा से आठ लीग (२४ मील या ३९ मिलोमीटर) उत्तर-पश्चिम, बगदाद से ५० मील दक्षिण-पश्चिम तथा फ़रात नदी से छह मील पश्चिम स्थित है। मुहम्मद साहब के पौत्र और अली के पुत्र हुसेन के सन् ६१ हिजरी (६८० ई.) में शहीद होने के स्थल तथा उनकी समाधि के रूप में विख्यात है। वर्तमान शिया मुसलमानों के लिए कर्बला प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है और मशहदे अली या नजफ़ अशरफ़ से भी अधिक महत्व रखता है। यह इराक के प्रधान केंद्रों में से है तथा शियों की तीर्थयात्रा का मुख्य केंद्र है।
कर्बला का तीर्थस्थान पहले पहल किसने बनवाया यह ज्ञात नहीं परंतु तीसरी सदी हिजरी (नवीं स.ई.) में यहाँ कोई स्मारक अवश्य रहा होगा, ऐसा अनुमान है, क्येंकि सन् २३६ हि. (८५० ई.) में खलीफ़ा मुतवक्किल ने इसे गिरवा देने की आज्ञा प्रदान की और शियों के कोपभाजन बने। उन्होंने इस पवित्र स्थान पर लोगों को जाने से भी रोका। यह स्थान कत तक ध्वस्त रहा, यह ज्ञात नहीं है, परंतु ३६८ हि. (९७९ ई.) में बुवहिद सुल्तान अदूद् उद् दौला ने एक सुंदर तथा बृहत् मक़बरा बनवाया जो निस्संदेह पहलेवाले भवन का विस्तारमात्र है और जिसका उल्लेख भूगोलशास्त्री इस्तखरी और इब्न हाकल ने इससे कुछ ही पहले किया था। इब्नबतूता के अनुसार समाधि का पवित्र अग्रिम भाग, तीर्थयात्री भवन में पर्दापण करते ही जिसका चुंबन करते थे, ठोस चाँदी का बना था। भवन में सोने और चाँदी के दीपकों से प्रकाश किया जाता था और द्वार पर रेशमी परदे पड़े रहते थे। (इबनबतूता २।९९)।
कर्बला वर्तमान इराक़ के पश्चिमी भाग का एक प्रांत है। पहले यहाँ किसी प्रकार की उपज नहीं होती थी और बहुत कम चरागाहें तथा जलस्रोत थे। अब कर्बला की तीव्र गति से उन्नति हो रही है। एक नहर के द्वारा इस नगर का संबंध फ़रात नदी से जोड़ा गया है। कई प्रकार के फल, खजूर, कुंज आदि की उपज होने लगी है। नगर के एक भाग में चौड़ी सड़कें भी बनाई गई है, जिससे इस भाग में पाश्चात्य सभ्यता की झलक मिलती है। परंतु मध्य भाग अभी भी प्राचीन खंडहरों और गंदगी से भरा हुआ है, सड़कें और गलियाँ भी सँकरी हैं। इसका क्षेत्रफल ७,१७० वर्ग कि.मी. और जनसंख्या १९६५ में ३,३९,६९६ थी। (मो.या.)