करूर त्रिचनापल्ली से ४८ मील दूर कावेरी और अमरावती नदी के संगम के निकट अमरावती नदी के तट पर स्थित है। स्थिति १०रू ५८फ़ उ.अ. और ७८रू ८फ़ पू.दे.। यह दक्षिण भारत का एक प्राचीन नगर है जो १०वीं शताब्दी में चालों के अधिकार में था और अगले ६०० वर्षों तक विजयनगर राज्य का एक अंग था१ १६वी शताब्दी के मध्यकाल में यह मदुरा के नायकों के हाथ में चला गया। १७८३ ई. में यह नगर ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ में आया और १७८४ ई. की संधि के अनुसार मैसूर को वापस कर दिया गया। १७९९ ई. में अंग्रजों ने पुन: नगर पर अधिकार कर लिया और तब से यह बराबर अंग्रेजी के अधिकार में रहा। १८०१ ई. में इसे महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र बनाया गया।
यहाँ पर पीतल एवं ताँबे के कुछ कार्य होते हैं। लकड़ी का काम, पत्थर का काम, चूड़ी बनाने का उद्योग, टोकरी बनाने का उद्यम तथा कपड़े बनने के काम भी होते हैं। रेलवे लाइन पर बसे तथा कई सड़कों का केंद्र होने के कारण यह व्यापारी नगर बन गया है।
यह नगर एक धार्मिक स्थान भी है। नगर में यत्रतत्र कई शिवालय हैं। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध मंदिर पशुपतीश्वर स्वामी का है जिसमें पाँच फुट का शिवलिंग स्थापित है।
नगर का सबसे बड़ा दोष अत्यंत घना बसा होना है। सड़कें पतली तथा टेढ़ी-मेढ़ी हैं और इमारतें पुरानी शैली पर बनी हुई हैं। (उ.सिं.)