करुणा चित्त की एक भावना अथवा वृत्ति। यह दुखी जीवों के प्रति दया अथवा सहानुभूति के रूप में व्यक्त होती है। भारतीय दर्शनों में इस वृत्ति के विकास पर अधिक जोर दिया गया है। इसे मनुष्य के नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास के लिए चित्त में शांति तथा समत्व की प्राप्ति के लिए आवश्यक माना गया है। पतंजलि ने योगसूत्र में करुणा का मैत्री, मुदिता और उपेक्षा के साथ उल्लेख किया है। जैने आचार्य उमास्वामी ने तत्वार्थाधिगम सूत्र में करुणा का मैत्री, प्रमोद और माध्यस्थ वृत्तियों के साथ उल्लेख किया है। इसी प्रकार बौद्ध दर्शन के अनुसार बोधिसत्वों का हृदय करुणा से ओतप्रोत रहता है और वे प्राणिमात्र के दु:खों को दूर करने के लिए कृतसंकल्प होते हैं। (रा.शं.मि.)