कराकोरम पर्वतमाला एशिया महाद्वीप में तारिम तथा सिंधु बेसिन के मध्य, तिब्बत की सीमा के पश्चिम ३४उ.अ. से ३७उ.अ. और ७४पू.दे. से ७८पू.दे. तक लगभग २५० मील की दूरी में फैली हुई है। उक्त नाम १८,५५० फुट की ऊँचाई पर अवस्थित कराकोरम दर्रे के लिए है जो कश्मीर के खोतान स्थान से चीन के सिनकियांग प्रांत तक जाने के लिए प्राचीनतम मार्ग रहा है। इस अत्यंत विषम पर्वतीय क्षेत्र में संसार का सर्वोच्च द्वितीय शिखर गाडविन आस्टिन (ग्द्य. ख़्, २८,२५० फुट) के अतिरिक्त गैशेर्व्राम (२६,७७०), मैशेर्व्राम (२५,६६०) तथा अन्य ऊँचे शिखर हैं। इस पर्वतमात्रा में ६० शिखर २२,००० फुट से तथा ३३ शिखर २४,००० फुट से भी अधिक ऊँचे हैं। डे टेरी के अनुसार उत्तर से दक्षिण में कराकोरम की चार प्रमुख श्रेणियाँ हैं। उत्तर पश्चिम में ये श्रेणियाँ पामीर एवं हिंदूकुश तथा पूरब में पैगाम श्रेणियों के द्वारा कैलास से मिल जाती हैं। मुख्य पर्वतश्रेणी को मुजताघ कराकोरम भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त अधिक कराकोरम पर्वतश्रेणी, कैलास कराकोरम श्रेणी और लद्दाख पर्वश्रेणियाँ हैं। ये श्रेणियाँ सिंधु एवं तारिम बसिन की नदियों के बीच प्रमुख जलविभाजक का कार्य करती हैं। कराकोरम में लद्दाख एवं कुएनलुन पर्वतों के मध्य तृतीय युग (tertary) के जमाव नहीं मिलते, अत: हिमालय की अपेक्षा यह अधिक प्राचीन पतीत होती है। ऊँचे शिखरप्रांतों में आग्नेय, तलछटी तथा कार्यांतरित तीनों प्रकार की चट्टानों का विषम सम्मिश्रण दृष्टिगोचर होता है। कराकोरम दर्रें के क्षेत्र में लाइएसिक (Liassic) तथा क्रीटेशश (Cretaceous) युग के जमाव मिलते हैं। दक्षिणी श्रेणियाँ मुख्य ग्रेनाइट एवं साइएनाइट (Syenite) चट्टानों द्वारा निर्मित हैं।

उपध्रुवीय क्षेत्र के बाहर कराकोरम में ही बृहत्तर हिमानियाँ हैं। विशाल धरातलीय हिमानियों में हिस्पर, वाल्टोरो, बिआफो, सियाचेंन और रेमो मुख्य हैं। हिस्पर नदी की घाटी (१५,००रू) तथा मध्य एशिया में जाने का प्रमुख मार्ग तथा लेह और यारकंद के मध्य एक अन्य दर्रा (१८,३००फ़) है। १९,०३० फुट ऊँचा मुजताघ दर्रा संसार का सवोच्च व्यापारिक दर्रा है। राजनीतिक द्वंद्वों के कारण इन दर्रों का आधुनिक महत्व कम हो गया है परंतु इनका ऐतिहासिक महत्व अक्षुण्ण है। (का.ना.सिं.; शी.प्र.सिं.)