करनेस (कवि) अकबर के दरबार से संबंध रखनेवाले हिंदी के एक कवि। इनका जन्मकाल सन् १५५४ ई. और रचनाकाल १५८० ई. के लगभग माना जाता है (हिंदी काव्यशास्त्र का इतिहास, डा. भगीरथ मिश्र, द्वि.सं., पृ. ३७)। मिश्रबंधुविनोद (भाग १, पृ. ३२४, सं. १९९४) के अनुसार ये नरहरि कवि (जन्म १५०५ ई.) के साथ अकबर के दरबार में आया जाया करते थे। करनेस ने 'कर्णाभिरण', 'श्रुतिभूषण' तथा 'भूपभूषण' नामक तीन अलंकार संबंधी ग्रंथों की रचना की थी (हिंदी साहित्य का इतिहास, रामचंद शुक्ल, १६वाँ पुनर्मुद्रण, पृ. २००) किंतु उक्त सभी ग्रंथ अभी तक अप्राप्त हैं। मिश्रबंधुओं के अनुसार करनेस ने खड़ी बोली में भी कविताएँ लिखी थीं, लेकिन इनका उक्त काव्य साधारण कोटि का ही है। करनेस का 'करनेसि', 'करणेश', 'कर्नेश', आदि विभिन्न नामों से उल्लेख मिलता है। हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा भगीरथ मिश्र इन्हें 'करनेस बंदीजन' लिखते हैं तो सरयूप्रसाद अग्रवाल ने इनका उल्लेख 'करनेश' नाम से किया है (अकबरी दरबार के हिंदी कवि); लेकिन रामचंद्र शुक्ल तथा विजयेंद्र स्नातक ने इन्हें 'करनेस कवि' ही लिखा है।

असनी निवासी महापात्र करनेश कवि की चर्चा भी डा. भगीरथ मिश्र ने (हिंदी काव्यशास्त्र का इतिहास, द्वि. सं., पृ. १८०) चंद्रशेखर बाजपेयी के प्रसंग में की है। लेकिन ये अकबरी दरबार के करनेस नहीं हैं क्योंकि चंद्रशेखर बाजपेयी का जन्म संवत् १८५५ वि., तद्नुसार १७९८ ई. के आसपास आँका गया है। दोनों में २०० वर्ष का अंतर है, अत: दोनों दो भिन्न व्यक्ति हैं। 'रसकल्लोल' (रचना सन् १७०० अथवा १८०० के आसपास) के रचयिता 'करन कवि, जिनका उल्लेख शिवसिंह सेंगर ने पन्ना नरेश के आश्रित कवि के रूप में किया और डा. भगीरथ मिश्र (हिंदी काव्यशास्त्र का इतिहास, द्वि.सं., पृ. ४२) द्वारा उल्लिखित 'साहित्यरस' (रचना सन् १८०३ ई.) नामक काव्यशास्त्रीय ग्रंथ के प्रणेता 'करन' कवि भी करनेस कवि से अलग व्यक्ति हैं। (कै.चं.श.)