कंस मथुरा के राजा उग्रसेन का पुत्र। पुराणों के अनुसार इसके रूप में कालनेमि दानव उत्पन्न हुआ था। मगधनरेश जरासंध की पुत्री से इसका विवाह हुआ था। कंस शस्त्रज्ञान तथा बलपराक्रम में हैहयनरेश कार्तवीर्य (सहस्रार्जुन) के समान था। पिता को कारावास में डाल स्वयं राजा बन बैठा, तत्पश्चात् मंत्रियों ने इसका राज्याभिषेक किया। अपनी बहिन देवकी का विवाह इसने वसुदेव से किया। इसी अवसर आकाशवाणी सुनकर कि देवकी का पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण होगा, वह देवकी को मार डालने के लिए उद्यत हुआ। एक-एक करके देवकी के छह पुत्रों का उसने वध भी किया। फिर वसुदेव द्वारा लाई हुई गोप कन्या को भी मार डालने का प्रयास किया किंतु इसके हाथ से छूटते ही आकाशमार्ग में स्थित होकर उसने कंस से कहा, ''तुम्हारी मृत्यु का कारण ब्रज में उत्पन्न हो गया!'' कंस ने ब्रज के गोपों को विभिन्न प्रकार के सताया तथा कृष्ण को मार डालने का प्रयास किया। कृष्ण ने सभा में विराजमान कंस को मंत्रियों तथा परिवार सहित मार डाला। (चं.भा.पां.)