ओस्लो नॉर्वे देश का सबसे बड़ा नगर एवं राजधानी है। इसका पुराना नाम क्रिस्ट्यानिआ था, जो नार्वे के राजा क्रिश्चियन चतुर्थ के नाम पर, १६२६ ई. में रखा गया था। १९२५ ई. में इसका नाम बदलकर ओस्लो पड़ा। यह नार्वे के दक्षिणी-पूर्वी समुद्रतट पर ओस्लो फ़्योर्ड के उत्तरी सिरे पर स्कैगरैक के खुले समुद्र से ८० मील दूर ५९ ५४ उ.अ. तथा १० ४५ पू.दे. पर स्थित है। शहर के बीच से एकर नाम की छोटी नदी उत्तर से दक्षिण को बहती है। यह नार्वे के सबसे अधिक उपजाऊ और घने आबाद प्रदेश का भौगोलिक केंद्र है। यहाँ सर्वोच्च न्यायालय, संसद् भवन तथा विश्वविद्यालय हैं। इस नगर का क्षेत्रफल ४५३.२८ वर्ग मिलोमीटर है।

ओस्लो क्षेत्र में रेलों का घना जाल बिछा है और कई दिशाओं से रेलमार्ग आकर यहाँ मिलते हैं। विद्युत्संचालित रेलें इस नगर को फ्रेडरिक स्टा, यटेबॉरइ, गोटेवर्ग, स्टाकहोम, ट्रॉनहम, बैर्जेन शेएन तथा स्टावांजर से जोड़ती हैं।

यह सुंदर, सुरक्षित प्राकृतिक पत्तन है और अपने पश्च प्रदेश से भली-भाँति संबंधित है। स्टीमर पास के द्वीपों और फ़्योर्ड के किनारे स्थित नगरों तथा नार्वे के पश्चिमी समुद्रतट पर स्थित बड़े पत्तनों को जाते हैं। यह पत्तन जाड़े की ऋतु में तीन या चार महीने बर्फ के कारण बंद रहता है।

यहाँ कई प्रकार के कारखाने हैं जो अधिकतर जलविद्युत् से चलते हैं, जैसे जहाज बनाने, सूती, ऊनी तथा लिनेन कपड़ा बनाने, लकड़ी चीरने, लुगदी और कागज बनाने, आटा पीसने, दियासलाई बनाने, लोहा गलाने, इंजीनियरिंग का सामान बनाने, एल्युमिनियम, रासायनिक द्रव्य, मछली तथा दूध से बने सामान बनाने के कारखाने हैं। नॉर्वे का अधिकतर व्यापार यहीं से होता है।

निर्यात-लकड़ी की लुगदी, कागज, दियासलाई, चमड़ा, दूध तथा मछली से बना सामान।

आयात-अनाज, आटा, रुई, ऊन, कहवा, लोहा, कोयला, पेट्रोल, शक्कर, मशीनें तथा खनिज पदार्थ। (ल.कि.सिं.चौ.)