ऐस्क्लीपाइओडीज़ यूनानी चिकित्सक। जन्म विधिनिया में १२४ ई. पू.। युवावस्था में बहुत भ्रमण किया। रोम में इसने प्रथम अलंकारशास्त्री का कार्य प्रारंभ किया, पर इस व्यवसाय में उसे सफलता नहीं मिली। फिर चिकित्सा का व्यवसाय आरंभ किया जिसमें उसकी बड़ी ख्याति हुई। इसकी चिकित्सा पारमाण्विक अथवा कणिका सिद्धांत पर आधारित थी। इस सिद्धांत के अनुसार शरीर में कणिकाओं की अनियमित अथवा असंगत गति के कारण रोग उत्पन्न होते हैं। इसकी चिकित्सा का उद्देश्य ऐसी अनियमितता को दूर कर कणिकाओं की पूर्ण संगत गति प्राप्त करना था। आहार परिवर्तन, घर्षण, स्नान तथा व्यायाम पर इसका अधिक विश्वास था, यद्यपि वह वमनकारी अथवा रक्तस्रावक ओषधियों का भी प्रयोग करता था। मद्य सेवन का भी यह निर्देश करता था। इसके अनेक शिष्य हुए और इसकी चिकित्सा का सिद्धांत मेथाडिकल सिद्धांत के नाम से प्रसिद्ध हुआ। (पू.सा.मा.)