ऐन्येसी, मरिया गीताना (Agnesi Maria Gaetana) (१७१८-१७९९), इटली की गणितज्ञ, भाषाविद् और दार्शनिक, गणित के प्रोफ़ेसर की लड़की थी। इसका जन्म १६ मई, १७१८, को मिलान (इटली) में हुआ। वह १४ वर्ष की आयु में ही दार्शनिक विषयों पर नवीन विचार विद्वानों के संमुख उपस्थित किया करती थी। वह आरंभ से भिक्षुणी (नन) हो जाना चाहती थी, परंतु अन्य संबंधियों ने उसे रोक रखा। २० वर्ष की आयु होने पर वह दुनिया से अलग होकर अपने घर में एकांतवास करके, अपना सारा समय गणित के अध्ययन में लगाने लगी।
चलन कलन में एक वक्र ऐन्येसी की लुब्ध्काि (विच ऑव ऐन्येसी) कहलाता है। कहा जाता है, ऐन्येसी (फ्ऱेंच उच्चारण आन्येसी) एक समीकरण पर विचार करते करते सो गई। रात्रि में, निद्रावस्था में ही, उसने कागज पर, स्वच्छतापूर्वक इस समीकरण के निरूपित वक्र को अंकित कर लिया। प्रात: काल उठने पर उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने देखा कि कागज पर ठीक हल पहले से ही लिखा रखा है। १७५२ ई में, १४वें पोप बेनेडिक्ट ने मिलान के विश्वविद्यालय में अपने स्थान पर ऐन्येसी की नियुक्ति कर दी। पिता के देहांत के बाद वह मिलान के ही एक संघ में संमिलित होकर भिक्षुणी हो गई। उसका निधन १७९९ में हुआ।
उसका लिखा प्रधान ग्रंथ इंस्तितुत्सी अनालितिके अद उज़ो देला गिओवेंतू इतालियाना (Institu ioni analitiche uso dlla gioventu itlaliana) हैं, जो मिलान में १७४८ में दो जिल्दों में छपा। इसका अंग्रेजी अनुवाद १८०१ में छपा (अनुवादक जॉन कॉलसन)।
सं.ग्रं.–एंटोनियो फ्ऱान्सेस्को फ्ऱसी (Antonio Fransesco Frisi), ईलोग इस्तोरीक द मादम्वाज़ेल आन्येसी (Eloge historiqude Mademoiselle Agnesi) (१८०७)।