ऐन्नियुस क्विंतुस (ई.पू. २३९-१६९) को 'रोमन कविता का जनक' कहा जाता है। इनका जन्म इटली के दक्षिणपूर्व में कलाब्रिया प्रदेश के रूपदियाए नामक स्थान में हुआ था। ग्रीक, ऑस्कन और लातीनी, तीनों भाषाओं का अच्छा ज्ञाता होने के कारण ऐन्नियुस कहा करता था कि मुझे तीन हृदय प्राप्त है। युवावस्था में वह सेना में सैंचरियन (शताध्यक्ष) पद पर पहुँच गया था। कातो नामक जननायक इसको रोम ले गया। रोम में निवास आरंभ करने के थोड़े समय पश्चात् ऐन्नियुस ने काव्यरचना आरंभ की। यहाँ उसका रोम के प्रभावशाली नेताओं से परिचय हुआ। यह मार्कुस के साथ ईतोलिया के अभियान में भी गया था जिसका वर्णन उसने अपने नाटकों में किया है। इसकी मृत्यु गठिया रोग से ई. र्पू. १६९ में हुई।

इसकी रचनाओं की संख्या बहुत अधिक थी। किंतु इस समय तो उसकी विभिन्न रचनाओं में से कुछ पंक्तियाँ ही अवशिष्ट रह गई हैं जिनकी संख्या १,००० से कुछ ही अधिक होगी। इन रचनाओं में से एक महाकाव्य में, जिसका नाम 'अनालैस' है, उसने रोम का इतिहास लिखा है। ऐन्नियुस के नाटकों में से २२ दु:खांत नाटकों, दो सुखांत नाटकों तथा एक ऐतिहासिक नाटक के उद्धरण मिलते हैं। इसकी अन्य रचनाओं की भी कुछ पंक्तियाँ अवशिष्ट है। पश्चात्कालीन कवियों पर उसकी रचनाओं का अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। वह लातीनी का आदिकवि था तथा उसने ग्रीक काव्य और नाटक के प्रभाव को लातीनी भाषा में अवतीर्ण किया। इस्कीलस, सोफ़ोक्लीस तथा यूरीपिदेस की नाटयशैली की प्रतिध्वनि उसके नाटकों में स्पष्टतया सुनी जा सकती है। पर उसने अपने तीनों हृदयों की भावुकता की संपत्ति को एकमात्र हृदय (लातीनी) में उँडेलकर भावी साहित्यिकों का मार्ग प्रशस्त किया। इसी कारण सिसरो और क्विंतीलियन जैसे महान् लेखकों ने उसकी प्रशंसा की एवं नुक्रितियुस, वर्जिल एवं ओविद उसके ऋणी हैं। कहते हैं, वह अत्यंत मिलनसार और प्रसन्नचित व्यक्ति था।

सं.ग्रं.मैकेल : लैटिन लिटरेचर, १९०६; डफ्ऱ : द राइटर्स ऑव रोम, १९४१। (भो.ना.श.)