ऐंथ्रासीन त्रिचक्रीय हाइड्रोकार्बन है। इसका गलनांक २१६रू सेंटीग्रेड और क्वथनांक ३५४रू सें. है। यह अलकतरा (कोलटार) से अधिक मात्रा में प्राप्त होता है। ऐंथ्रासीन रंजक बनाने में उपयुक्त होता है। इसके चौदहों कार्बन परमाणु एक ही तल में रहते हैं। इन कार्बन परमाणुओं को निम्नांकित प्रकार से गिना जाता है :
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इनमें से ९ और १० अंक के कार्बन परमाणुओं को मेसो स्थिति के कार्बन परमाणु कहा जाता है। ऐंथ्रासीन के तीन-प्रतिस्थापन-उत्पाद और १५ द्वि-प्रतिस्थापन-उत्पाद पदार्थ होते हैं। ऐंथ्रासीन के दो सूत्र संभव हैं। एक में केवल एक आर्थोक्विनायड चक्र है और दूसरे में दो।
फ्ऱाइज नियम के अनुसार प्रथम सूत्र अधिक स्थायी है। शुद्ध ऐंथ्रासीन मणिभ या विलेय अवस्था में सुंदर नीला प्रतिदीप्त पदार्थ होता है। गलाने पर इसकी प्रतिदीप्ति नष्ट हो जाती है, परंतु जैसे ही यह पुन: ठोस होता है, प्रतिदीप्ति पुन: प्रकट हो जाती है। (कृ.ब.)