ऐंथोसायानिन रंग और फलों में पाया जानेवाला वर्णक है। यह प्रकृति में पाया जानेवाला आक्सिजनयुक्त पोलिसाइक्लिक वर्णक है। जलविश्लेषण पर यह एग्लूकोन देता है, जिससे इसका नाम ऐंथोसायानिन पड़ा। यह एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ नीला फूल है। फलों और फूलों का नीला, लाल और बैंगनी रंग प्राय: इसी वर्णक के कारण होता है।
ऐंथोसायानिन का सूत्र स्थापित करने में विलस्टेटर, केरार, राबिनसन इत्यादि ने विशेष काम किया। ऐंथोसायानिन हाइड्राक्सिबेंज़ोपीरीलियम लवण के ग्लूकोसाइड हैं। धनायन का आधार सूत्र मंडल आक्सीनियम और कार्बोनियम रूप में अनुनादित होता रहता है और इसमें चार हाइब्रिड होते हैं (द्र. उपरिलिखित सूत्र)।
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इनमें (क) और (ख) आक्सीनियम धनायन के तथा (ग) और (घ) कार्बोनियम धनायन के अनुनाद हाइब्रिड हैं। कार्बन में धन चार्ज ग्रहण करने की शक्ति अधिक है। अत: सूत्र क और ख अधिक स्थायी हैं। क और ख सूत्र में क, जिसमें नेप्थलिनायड आकार है, क्यूनोनायड वाले आकार ख से अधिक स्थायी है। इसलिए ऐंथोसायानिन को प्राय: सूत्र क से ही सूचित किया जाता है। सूत्र ग भी विशेष महत्वपूर्ण है, क्योंकि नाइट्रोजन अभिक्रिया में नाइट्रो समूह फेनिल समूह में स्थान ३' ग्रहण करता है; अर्थात् कार्बन २ के यह मेटा स्थान में लगता है। यह तभी संभव है, जब कार्बन २ पर आंशिक धन चार्ज हो।
ऐंथोसायानिन प्राप्त करने के लिए प्रकृति में पाए जानेवाले इसके ग्लूकोसाइड को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से जलविश्लेषित किया जाता है, जिससे ऐंथोसायानिन क्लोराइड के रूप में प्राप्त हो जाता है। पौधों में ऐंथोसायानिन का रंग पौधे के तंतुओं के हाइड्रोजन आयन सांद्रण पर निर्भर है। विभिन्न पीएच (घ्क्त) पर एक ही ऐंथोसायानिन अलग अलग
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सायानिडीन धनायन रंगीन क्षार सायानिडीन ऋणायन
(लाल, पी एचइ३) (बैंगनी, पी एच ७-८) (नीला, पी एच ऊ११)
रंग देता है। इस तरह कार्न फ्लावर के नीले फूल और गुलाब के लाल फूल दोनों सायानिडीन क्लोराइड देते हैं। सायानिडीन क्लोराइड अम्लीय विलयन में लाल, उदासीन विलयन में बैंगनी और क्षारीय विलयन में नीला रंग देता है।
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पेलोगोनिडीन धनायन सायानिडीन धनायन डेफ़िनिडीन धनायन
ऐंथोसायानिन तीन प्रकार के ग्लाइकोनों के संजात हैं। इनके नाम पेलार्गोनिडीन, सायानिडीन, डेफ़िनिडीन हैं जिनमें ३-,५-, और ७- स्थानों पर हाइड्राक्सी समूह होते हैं। इनके दो फेनिल नाभिक में विभिन्न संख्या के हाइड्राक्सी समूह होते हैं। इनके ३-या ५- स्थान से ग्लूकोसाइड का ग्लूकोस अणु लगा रहता है। अधिकांश ऐंथोसायानिन ३-, ५- डाइग्लूकोसाइड है।
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फ़ीनोल फ़ीनोल कार्बोक्सिलिक अम्ल ऐंथोसायानिन
ऐंथोसायानिन को क्षार के साथ गलाने पर एक फ़ीनोलकार्बोक्सिलिक अम्ल और एक फ़ीनोलिक अवयव प्राप्त होता है।
उक्त वर्णित तीनों प्रकार के ग्लाइकोन क्षार-गलन-क्रिया द्वारा फ्लोरोग्लूनिसाल और क्रमश: एक-, दो-और तीन- फेनिल कार्बोक्सिलिक अम्ल देते हैं। इससे इनका सूत्र स्पष्ट हो जाता है।
ऐंथोसायानिन कई विधियों से संश्लेषित किए जा सकते हैं। इनमें राबिन्सन विधि प्रमुख है। इस विधि द्वारा संश्लेषण करने के लिए उचित प्रतिस्थापित आर्थो-हाइड्राक्सीबेंजैल्डिहाइड को ओमेगा-हाइड्राक्सी एसिटोफ़ीनोन के संजात से संघनित किया जाता है।
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सायानिडीन क्लोराइड
(ॠड़ उ ऐसिटील समूह।)
(कृ.ब.)