एवरेस्ट चोटी संसार की ज्ञात पर्वत चोटियों में ऊँची चोटी है। यह हिमालय का सर्वोच्च शिखर है जो नेपाल राज्य में, तिब्बत की सीमा के सन्निकट दे. ८५रू पू. तथा अ. २८रू उ. पर स्थित है। त्रिकोणमितीय विधि द्वारा ज्ञात की गई इसकी ऊँचाई लगभग २९,०२८ फुट (८,८४८ मीटर) तथा अन्य रीतियों से अनुमित ऊँचाई २९,१४१ फुट या ५।। मील है। यह सदैव हिम से ढकी रहती है। इस चोटी का नामकरण सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर किया गया, जो पूर्व समय में भारत के सर्वेयर जनरल रह चुके हैं। उन्होंने ही हिमालय के त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण को सन् १८४१ ई. में पूरा किया तथा सर्वप्रथम इस शिखर की स्थिति एवं ऊँचाई निश्चित की। नेपाल में इस पर्वत शिखर को 'सरगमाथा' तथा भारत में 'गौरीशंकर' कहा जाता है।

एवरेस्ट के पर्वतारोहण का इतिहास सन् १९२१ ई. से प्रारंभ होता है। प्रथम प्रयास सन् १९२२ में किया गया, किंतु असफल रहा। इसके पश्चात् सन् १९२४, १८९३३, १९३४, १९३५, १९३६, १९३७, १९३८, १९५१ तथा १९५२ ई. में अन्य प्रयास किए गए; परंतु इन सबमें असफलता ही रही। अंततोगत्वा सन् १९५३ ई. में मानव ने इस सर्वोच्च पर्वत शिखर पर अपने पदचिह्न अंकित कर ही दिए। २९ मई, सन् १९५३ ई. को प्रात: (११ बजकर ३० मिनट पर), ई.पी. हिलारी को साथ लेकर शेरपा श्री तेनसिंघ नोरके एवरेस्ट शिखर पर पहुँच गए। वहाँ उन्होंने १५ मिनट छाया चित्र खींचने इत्यादि में व्यतीत किए। उनकी यह सफलता वर्षों के अथक परिश्रम का परिणाम थी। यह एक ब्रिटिश अभियान था, जिसमें कर्नल हंट की देखरेख में आठ व्यक्तियों ने भाग लिया था। इस महान् सफलता पर तेनसिंघ नोरके को इंग्लैंड की महारानी द्वारा २ जुलाई को 'जार्ज पदक', नेपाल सरकार द्वारा 'नेपाल तारा' की उपाधि एवं भारतवर्ष के राष्ट्रपति श्री राजेंद्रप्रसाद जी द्वारा एक स्वर्णपदक तथा ८ अप्रैल, सन् १९५९ को 'पद्मभूषण' की उपाधि प्रदान की गई। श्री तेनसिंघ नोरके भारतीय नागरिक हैं।

(श्या.सुं.श.)