एलडन, जान स्काट अर्ल एलडन १७५१ में न्यूकासल में पैदा हुए। उनके पिता वहाँ कोयले का व्यापार किया करते थे। इसमें उन्होंने अधिक धन पैदा किया। जान स्काट की आरंभिक शिक्षा न्यूकासल ग्रामर स्कूल में हुई। तत्पश्चात् यूनिवर्सिटी कालेज, आक्सफ़र्ड में दाखिल हो गए, जहाँ उन्हें एक अंग्रेजी लेख पर पुरस्कार भी मिला। १७७६ में उन्होंने बैरिस्ट्री पास की और लंदन में वकालत करने लगे। १७८२ तक वह सफल बैरिस्टर हो गए थे और उनके पास अधिक संख्या में मुकदमे आने लगे थे। इसी वर्ष पार्लामेंट के ये मेंबर भी बने और पिट के सहायक हो गए। पार्लामेंट में उन्होंने पहली बार फ़ाक्स के इंडिया बिल का विरोध किया, जिसका शेरीडन ने बहुत मजाक उड़ाया। १७८८ में उनको सालिसिटर जेनरल का पद दिया गया और साथ ही 'सर' की उपाधि भी मिली। १७९३ में एटर्नी जेनरल बना दिए गए और उनकी सारी शक्ति फ्रांसीसी राज्यक्रांति के सहायकों पर मुकदमा चलाने में लगने लगी। १७९९ में वह चीफ़ जस्टिस नियुक्त हुए और उनको बैरन एलडन की उपाधि मिली। इसी वर्ष वह आर्लिग्टन के मंत्रिमंडल में लार्ड चांस्लर हुए और पिट के काल में भी इसी पद पर रहे। ये २० वर्षो तक कैबिनेट के मेंबर रहे। १८२१ में उनको अर्ल की उपाधि मिली। १८३७ में जब कैनिंग ने मंत्रिमंडल बनाया तब उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। उनका विचार था कि वे वेलिंग्टन के मंत्रिमंडल में फिर से ले लिए जायँगे, जो नहीं हो सका। इसका उन्हें बड़ा शोक रहा।

उनको अपनी पत्नी से बड़ा प्रेम था। एलडन का देहांत १३ जून, १८३८ को लंदन में हुआ। वे अपने विचारों में नरम दल के थे और प्रगतिशील विचारों का विरोध करते थे। उनकी चांस्लरी के काल में कागजात अधिक समय तक दबे रहते और ये उनपर अपनी कोई अनुमति न देते। (मु.अ.अं.)