एबेयर, फ्रीड्रिख जर्मन गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं कुशल राजनीतिज्ञ एबेयर का जन्म ४ नवंबर, १८७० की हाईडेलबर्ग नगर में हुआ। ये दर्जी के पुत्र थे परंतु इन्होंने अपने पिता का धंधा छोड़कर मोची का काम अपनाया। समाजवादी आंदोलन में प्रारंभ से ही संमिलित होकर ये जर्मनी के समाजवादी जनतांत्रिक दल के सदस्य और शीघ्र हो प्रभावशाली वक्ता तथा श्रमिक संघ के उत्तम संगठनकर्ता बन गए। इस आंदोलन में भाग लेने के कारण इन्हें अत्यधिक कष्ट भोगने पड़े और कई बार जेल भी जाना पड़ा।
अपने दल के बाहर एबेयर का प्रभाव प्रथम महायुद्ध के समय अनुभव किया जाने लगा। दल के अध्यक्ष एवं रीखस्टाग की आयव्ययक समिति के सभापति के नाते इनकी नीति राष्ट्रीय सुरक्षा तथा समझौते द्वारा शांति बनाए रखने के पक्ष में थी। परंतु एबेयर अपने देश में तथा बाहर, विशेषतया स्काटहोम में, जून १९१७ के शांति संमेलन में न्यायपूर्ण शांति के लिए प्रयत्न करते रहे। यद्यपि ये ब्रेख्ट लिटोवस्क की संधि से संतुष्ट नहीं थे। फिर भी इन्होंने उसके विरोध में की गई हड़तालों से असहमति प्रकट की। आरंभ में एबेयर गणतंत्र के पक्ष में नहीं थे और ब्रिटिश प्रणाली के आधार पर जर्मनी में संसदीय सरकार स्थापित करना चाहते थे। अतएव सितंबर, १९१८ में जब राजकुमार मैक्स ने अपने प्रथम संसदीय मंत्रिमंडल का निर्माण किया, एबेयर ने अपने दल को इस मंत्रिमंडल में मंत्री पद ग्रहण करने पर सहमत कर लिया परंतु क्रांतिकारी आंदोलन उग्र रूप धारण कर रहा था। ९ नवंबर को शीडमान ने रीखस्टाग के सदनभवन से जर्मन गणराज्य की घोषणा की। राजकुमार मैक्स के स्थान पर एबेयर चांसलर नियुक्त हुए और इन्होंने समाजवादी अस्थायी सरकार बनाई।
स्पारटासिस्ट्स ने एबेयर और उनके सहयोगियों को बंदी बनाने का कई बार प्रयत्न किया। परंतु एबेयर ने दिसंबर और जनवरी के उपद्रव को शीघ्र ही कुचल दिया। राष्ट्रीय सभा ने एबेयर को जर्मन गणराज्य का प्रथम अस्थायी राष्ट्रपति चुना। राष्ट्रीय एकता तथा लोकतंत्र एबेयर की नीति के प्रधान लक्ष्य थे। अस्थायी अवधि की समाप्ति पर संसद् ने ३० जून, १९२५ को दूसरी बार एबेयर को राष्ट्रपति चुना।
परंतु जर्मन समाज के कुछ प्रतिक्रियावादियों को यह अच्छा नहीं लगता था कि साधारण मोची, जिसे कभी उच्च वर्ग की शिक्षा तक का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ, राष्ट्र का अध्यक्ष हो, परिणामत: एबेयर के विरुद्ध घोर निंदा का षड्यंत्र रचा जाने लगा। इनपर जर्मन सेना की शक्ति नष्ट करने का आरोप लगाया गया और जब रोथार्ड नामक एक व्यक्ति ने एक पत्र में एबेयर के प्रति जनवरी, १९१८ की युद्धसामग्री तथा कारखानों के कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर विश्वासघात का आरोप किया तब एबेयर ने इन मिथ्यारोपों के लिए रोथार्ड पर मानहानि का अभियोग चलाया। यद्यपि रोथार्ड रीति से दोषी पाया गया तथापि न्यायाधीशों का निर्णय एबेयर के हित में प्रशंसनीय नहीं था। केंद्रीय सरकार तथा कई राज्य सरकारों ने इनके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की, परंतु इन सब घटनाओं की ठेस ये सहन न कर सके। ये पहले से ही आँत के फोड़े से पीड़ित थे। इस मुकदमे के निर्णय तक ये अपनी शल्यक्रिया टालते रहे परंतु अब बहुत बिलंब हो चुका था। २८ फरवरी, १९२५ को शार्लटनबर्ग में एबेयर का शरीरांत हो गया। उनकी मृत्यु के साथ ही निंदा और विरोध के स्वर भी शांत हो गए। इनके देशवासियों ने इनकी महत्ता तथा राजनीतिक योग्यता को सम्मान दिया। इंग्लैंड प्रधान मंत्री रैमज़े मैकडानल्ड ने इनकी प्रशंसा करते हुए इन्हें यूरोप का एक बुद्धिमान और सहनशील लोकसेवक कहा है।
सं.ग्रं.–एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका; एनसाइक्लोपीडिया ऑव सोशल साइन्सेज़; द मेमायर्स ऑव प्रिंस मैक्स ऑव बाउंन (अनु.व.म. कैवडर तथा सी.व.ह. संदत)। (अ.ला.लूं.)