एबरक्रांबी, लैसेलीज़ (१८८१-१९३८ ई.) अंग्रेजी के प्रख्यात कवि, नाटककार तथा समालोचक। एश्टन-ऑन-मर्सी में इंग्लैंड के एक प्रसिद्ध व्यापारी के घर ९ जनवरी, १८८१ को जन्म। प्रारंभिक शिक्षा मैलबर्न में तथा उच्च शिक्षा मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में प्राप्त की। शिक्षा समाप्त करने के उपरांत एबरक्रांबी ने स्वतंत्र पत्रकार का पेशा अपनाया और अनेक पत्र पत्रिकाओं के लिए लेख तथा पुस्तक परिचय (रिव्यू) लिखने लगे। लेकिन पत्रकारिता में उनका मन बहुत दिनों तक न रम सका और १९१९ ई. में वे लिवरपूल के एक स्कूल में अंग्रेजी के अध्यापक हो गए, हालाँकि इनकी शिक्षा विज्ञान में हुई थी। १९२२ ई. में लीड्स विश्वविद्यालय में तथा १९२९ ई. में लंदन विश्वविद्यालय में अंग्रेजी प्राध्यापक पद पर उनकी नियुक्ति हुई। १९३५ ई में वे आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में रीडर हुए। उनकी निम्नलिखित कृतियाँ प्रकाशित हैं :-

कविता१. इंटरल्यूड्स ऐंड पोएम्स (१९०८), २. एंब्लेम्स ऑव लव (१९११) तथा ३. द पोएम्स ऑव लैसेलीज़ एबरक्रांबी (१९३०)।

इनकी कविताओं में सांग, हाइम टु लव, सेरेमोनियल, ओड, मैरेज सांग, द डेथ ऑव ए फ्रायर आदि विशेष प्रसिद्ध हैं।

नाटक१. डेबोरा (१९१२), २. फ़िनिक्स (१९१३) तथा ३. द सेल ऑव सेंट टामस (काव्य नाटिका जो १९०३ में रची गई किंतु प्रकाशित बाद में हुई)। देहाती जीवन से संबंधित इनके डेबोरा आदि नाटक अधिक सफल हैं।

समालोचना१. टामस हार्डी (१९१२), २. दि एपिका (१९१४), ३. ऐन एसे टुवडेस ए थियरी ऑव आर्ट (१९२२), ४. द थियरी ऑव पोएट्री (१९२४), ५. दि आइडिया ऑव ग्रेट पोएट्री (१९२५) तथा ६. रोमौंटिसिज्म (१९२६)।

एबरक्रांबी की अधिकांश रचनाएँ बौद्धिकता से आक्रांत हैं, अत: सामान्य पाठक के लिए ये बोझिल, नीरस तथा क्लिष्ट हैं। २७ अक्टूबर, १९३८ को ५७ वर्ष की अवस्था में इनका देहावसान हो गया। (कै.चं.श.)