एडिसन महान् आविष्कारक टामस ऐल्वा एडिसन का जन्म ओहायो राज्य के मिलैन नगर में ११ फरवरी, १८४७ ई. को हुआ। बचपन से ही एडिसन ने कुशाग्रता, जिज्ञासु वृत्ति और अध्यवसाय का परिचय दिया। छह वर्ष तक माता ने घर पर ही पढ़ाया, सार्वजनिक विद्यालय में इनकी शिक्षा केवल तीन मास हुई। तो भी एडिसन ने ह्यूम, सीअर, बर्टन, तथा गिबन के महान् ग्रंथों एवं डिक्शनरी ऑव साइंसेज़ का अध्ययन १०वें जन्मदिन तक पूर्ण कर लिया था।

एडिसन १२ वर्ष की आयु में फलों और समाचारपत्रों के विक्रय का धंधा करके परिवार को प्रति दिन एक डालर की सहायता देने लगे। वे रेल में पत्र छापते और वैज्ञानिक प्रयोग करते। तार प्रेषण में निपुणता प्राप्त कर २० वर्ष की आयु तक, एडिसन ने तार कर्मचारी के रूप में नौकरी की। जीविकोपार्जन से बचे समय को एडिसन प्रयोग और परीक्षण में लगाते थे।

१८६९ ई. में एडिसन ने अपने सर्वप्रथम आविष्कार 'विद्युत् मतदानगणक' को पेटेंट कराया। नौकरी छोड़कर प्रयोगशाला में आविष्कार करने का निश्चय कर निर्धन एडिसन ने अदम्य आत्मविश्वास का परिचय दिया। १८७०-७६ ई. के बीच एडिसन ने अनेक आविष्कार किए। एक ही तार पर चार, छह, संदेश अलग अलग भेजने की विधि खोजी, स्टाक एक्सचेंज के लिए तार छापने की स्वचालित मशीन को सुधारा, तथा बेल टेलीफोन यंत्र का विकास किया। उन्होंने १८७५ ई. में 'सायंटिफ़िक अमेरिकन' में 'ईथरीय बल' पर खोजपूर्ण लेख प्रकाशित किया; १८७८ ई. में फोनोग्राफ मशीन पेटेंट कराई जिसकी १९१० ई. में अनेक सुधारों के बाद वर्तमान रूप मिला।

२१ अक्टूबर, १८७९ ई. को एडिसन ने ४० घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलनेवाला निर्वात बल्ब विश्व को भेंट किया। १८८३ ई. में 'एडिसन प्रभाव' की खोज की, जो कालांतर में वर्तमान रेडियो वाल्व का जन्मदाता सिद्ध हुआ। अगले दस वर्षो में एडिसन ने प्रकाश, उष्मा और शक्ति के लिए विद्युत् के उत्पादन और त्रितारी वितरण प्रणाली के साधनों और विधियों पर प्रयोग किए; भूमि के नीचे केबुल के लिए विद्युत् के तार को रबड़ और कपड़े में लपेटने की पद्धति ढूँढी; डायनामी और मोटर में सुधार किए; यात्रियों और माल ढोने के लिए विद्युत् रेलगाड़ी तथा चलते जहाज से संदेश भेजने और प्राप्त करने की विधि का आविष्कार किया। एडिसन ने क्षार संचायक बैटरी भी तैयार की; लौह अयस्क को चुंबकीय विधि से गहन करने का प्रयोग किए, १८९१ ई. में चलचित्र कैमरा पेटेंट कराया एवं इन चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किनैटोस्कोप का आविष्कार किया।

प्रथम विश्वयुद्ध में एडिसन ने जलसेना सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनकर ४० युद्धोपयोगी आविष्कार किए। पनामा पैसिफ़िक प्रदर्शनी ने २१ अक्टूबर, १९१५ ई. को एडिसन दिवस का आयोजन करके विश्वकल्याण के लिए सबसे अधिक अविष्कारों के इस उपजाता को संमानित किया। १९२७ ई. में एडिसन नैशनल ऐकैडमी ऑव साइंसेज़ के सदस्य निर्वाचित हुए। २१ अक्टूबर, १९२९ को राष्ट्रपति दूसरे ने अपने विशिष्ट अतिथि के रूप में एडिसन का अभिवादन किया।

मेनलोपार्क और वेस्ट ऑरेंज के कारखानों में एडिसन ने ५० वर्ष के अथक परिश्रम से १,०३३ आविष्कारों को पेटेंट कराया। अनवरत कर्णशूल से पीड़ित रहने पर भी अल्प मनोरंजन, निरंतर परिश्रम, असीम धैर्य, आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति और अनुपम कल्पना शक्ति द्वारा एडिसन ने इतनी सफलता पाई। मृत्यु को भी उन्होंने गुरुतर प्रयोगों के लिए दूसरी प्रयोगशाला में पदार्पण समझा। ''मैंने अपना जीवनकार्य पूर्ण किया। अब मैं दूसरे प्रयोग के लिए तैयार हूँ'', इस भावना के साथ विश्व की इस महान् उपकारक विभूति ने १८ अक्टूबर, १९३१ को संसार से विदा ली। (द्वा.प्र.गु.)