ऋत्विज् यज्ञयाग में यजमान को श्रौतकर्म करानेवाला व्यक्तिविशेष। ऋत्विजों की संख्या में कर्मो के अनुसार पर्याप्त भिन्नता है। अग्निहोत्री के घर पर प्रात: और सायंकाल होम करनेवाला ऋत्विज एक ही होता है, परंतु दर्श (अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपद को होनेवाली) इष्टि में तथा पौर्णमास (पूर्णिमा के दूसरे दिन प्रतिपदवाली) इष्टि में चार ऋत्विज् होते हैं जिनके नाम हैं - अध्वर्यु, होता, ब्रह्मा और आग्नीध्र। चातुर्मास्य याग में इन चारों के अतिरिक्त ''प्रतिप्रस्थाता'' अधिक होता है और पशुयाग में ''मैत्रावरुण'' नामक छठा ऋत्विज् भी होता है। अग्न्याधान (अग्निहोत्र ग्रहण के समय) में पूर्वोक्त चार ऋत्विजों के साथ 'उद्गाता'' नामक पाँचवाँ ऋत्विज् भी होता है। अग्निष्टोम आदि सोमयाग में १६ ऋत्विज् होते हैं। ''सदस्य'' नामक १७वाँ ऋत्विज् सोमयाग में प्रत्यक्ष भाग न लेकर 'सद' नामक मंडप में बैठा रहता है। आश्वलायन गृह्यसूत्र (१।२३) में ऋत्विज् के चुनने की विधि (ऋत्विक्वरण) दी गई है जिनमें ऋत्विज् के सर्वांगपूर्ण, सशक्त और तरुण होने का स्पष्ट आग्रह है। यह तो हुई श्रौतकर्म की बात। स्मार्त यज्ञों में भी हवन करने तथा शांतिविधान के लिए ऋत्विज् चुना जाता है। इस प्रकार वैदिक यज्ञों का निष्पादन ऋत्विजों की विद्या, बुद्धि तथा कर्मनिष्ठा का सम्मिलित फल होता है। (ब.उ.)