उसमान (खलीफा) मुसलमानों में 'इज़रत उसमान गनी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि 'गनी' उपाधि इन्हें खुद खुदा ने अता की थी। हजरत मुहम्मद साहब के पश्चात् ये तीसरे व्यक्ति थे जिन्हें 'खिलाफत' (काबे में नमाज़ पढ़ने का कार्य) का अधिकार मिला था। इन्हें 'जामे उल कुरान' (कुरान का संग्रहकर्ता) की उपाधि भी प्राप्त थी क्योंकि मुसलमानों के विश्वास के अनुसार मुहम्मद साहब जब इल्हाम की हालत में होते थे तो खुदा का संदेश उन्हें मिलता था, जिसे उनके मित्र तुरंत तख्तियों या पत्तों पर लिख लेते थे। इन्हीं संदेशों को बाद में उसमान ने व्यवस्थित किया और कुरान के रूप में दुनिया के सामने रखा। उसमान की शलीनता, उदारता तथा सहिष्णुता से संबंधित अनेक कहनियाँ मुसलमानों में आज भी प्रचलित हैं।

(कै. चं.श.)