उसमान अथवा मान (कवि) हिंदी प्रेमाख्यानक काव्य 'चित्रावली' (सूफी विचारधारा पर आधृत) के रचयिता। इसके अतिरिक्त इनकी किसी अन्य रचना का उल्लेख नहीं मिलता। इनके जन्म और मृत्यु का भी ठीक-ठीक पता नहीं है किंतु कवि ने स्वयं चित्रावली की रचनाकाल १०२२ हिजरी (१६१३ ई.) दिया है।
सन सहस्र बाइस सब अहे। तब हम बचन चारि एक कहै। (चित्रावली, छंद ३३)
साथ ही उक्त रचना में शाहेवक्त की प्रशंसा में जहाँगीर का भी नाम मिलता है और जहाँगीर का शासनकाल सन् १६०५ से १६२७ ई. है। अत: उसमान निश्चित रूप से १७वीं शताब्दी (ईसवी) में विद्यमान थे। चित्रावली में प्राप्त अन्य विवरणों के अनुसार उसमान गाजीपुर के रहनेवाले थे और इनके पिता का नाम शेख हुसेन था। इनके चार भाई थे, एक का नाम शेख अजीज था जो बहुत बड़े विद्वान् तथा दानी थे। दूसरे भाई इमानुल्लाह (मानुल्लाह) योगसाधना में लीन रहते थे। तीसरे शेख फैजुल्लाह (फेजुल्लह) बहुत बड़े योद्धा और चौथे भाई शेख हसन जाने माने संगीतज्ञ थे।
उसमान ने अपनी कृति में अपने दो गुरुओं का भी उल्लेख किया है-नारनौल के शाह निजाम चिश्ती और बाबा हाजी। चिश्तिया संप्रदाय के इतिहास में शेख निजाम की मृत्यु सन् १५९१ ई में उल्लिखित है और उनका मजार भी नारनौल में वर्तमान है। अत: बहुत संभव है कि उसमान ने गुरु के रूप में उन्हीं का नाम लिया हो। दूसरे गुरु बाबा हाजी कौन हैं, इसका पता नहीं चलता। हो सकता है, चिश्तिया संप्रदाय से संबद्ध ये गाजीपुर के कोई स्थानीय संत रहे हों।
हिंदी के सूफी कवियों में मलिक मुहम्मद जायसी के बाद उसमान का ही नाम आता है। हालांकि जायसी को नाई ये सूफी साधक नहीं थे, तो भी सूफी मत से प्रभावित अवश्य थे। चित्रवली में नेपाल नरेश धरनीधर के पुत्र कुँवर और रूपनगर के राजा चित्रसेन की कन्या चित्रावली के प्रेम तथा विवाह का हृदयग्राही वर्णन है जिसे प्रस्तुत करने में कवि ने अनेक भारतीय कथानक रूढ़ियों का ही जमकर उपयोग नहीं किया है बल्कि अपनी बहुज्ञता के आधार पर तत्कालीन समाज, रस्मरिवाज, उत्सव, अनुष्ठान आदि का भी उसने सुंदर चित्रण किया है। कृति में पद पद पर कवि की काव्यप्रतिभा, वाग्वैदग्ध्य तथा रचनाकौशल का परिचय मिलता है। (कै.चं.श.)