उरुवेला पालि में उरु का अर्थ बालू है, और वेला का नदीतट। गया और बुद्ध गया के बीच नेरंजरा (वर्तमान फल्गू) नदी का जो विस्तृत बालुकामय तट है वही पालि साहित्य में उरुवेला के नाम से प्रसिद्ध है। बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम ने बुद्धत्व लाभ करने के पूर्व दीर्घ काल तक यहाँ रहकर कठिन तपस्या की थी। इसी उरुवेला के पास सेनानी कस्बा था जहाँ रहनेवाली कन्या सुजाता ने बोधिसत्व को खीर-पायस-अर्पण किया था। जब बुद्ध कपिलवस्तु से लौट राजगृह की ओर जा रहे थे तब उरुवेला में निवास करनेवाले सैंकड़ों जटाधारी साधुओं को अपने योगबल से परास्त कर उन्होंने अपने धर्म में दीक्षित किया था। (भि.ज.का.)