उपाध्याय, दीनदयाल का जन्म सन् १९१७ ई. में मथुरा के एक संभ्रांत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने पिलानी, आकरा तथा प्रयाग शिक्षा प्राप्त की। बी.एस-सी., बी.टी. करने के बाद उन्होंने नौकरी नहीं की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गए थे। अत: कालेज छोड़ने के तुरंत बाद वे उक्त संस्था के प्रचारक बना दिए गए और एकनिष्ठ भाव से अपने दल का संगठन कार्य करने लगे।

सन् १९५१ ई. में अखिल भारतीय जनसंघ का निर्माण होने पर वे उसके मंत्री बनाए गए। दो वर्ष बाद सन् १९५३ ई. में उपाध्याय जी अखिल भारतीय जनसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए और लगभग १५ वर्ष तक इस पद पर रहकर उन्होंने अपने दल की अमूल्य सेवा की। कालीकट अधिवेशन (दिसंबर, १९६७ ई.) में वे अखिल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। ११ फरवरी, १९६८ की रात में रेलयात्रा के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।

उपाध्याय जी नितांत सरल और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उनके अंग्रेजी और हिंदी के लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे। केवल एक बैठक में ही उन्होंने 'चंद्रगुप्त नाटक' लिख डाला था। (कै.चं.श.)