उनसरी, अबुल कासिम बलख के निवासी और सुल्तान महमूद गजनवी के दरबारी पंडित। ये अबुलफरह सुनजरी के शिष्य थे और इनकी गणना अपने समय के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती थी। कवि होने के साथ-साथ ये कई भाषाओं के जानकार थे और विज्ञान में भी इनकी अच्छी गति थी। इन्हें असजदी तथा फरूखी कवि का गुरु होने का गौरव प्राप्त है। इन्होंने सुल्तान महमूद की वीरता पर एक काव्यग्रंथ की रचना की थी। एक बार अपने गुलाम अय्याज के केश कटवाकर सुल्तान अत्यंत दु:खी हुए तो इन्होंने तत्काल ऐसी कविता बनाकर सुनाई कि सुल्तान ने प्रसन्न होकर इनका मुख तीन बार बहुमूल्य रत्नों से भरने की आज्ञा दी। इनकी मृत्यु सन् १०४० अथवा १०४९ ई. में हुई। (कै.चं.श.)