उत्तरकाशी उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत उत्तर में हिमालय की गोद में विस्तीर्ण उतराखंड विभाग में सबसे उत्तर-पश्चिम-क्षेत्र में स्थित जिला तथा उस जिले का प्रमुख केंद्र और कस्बा है। उत्तरप्रदेशीय हिमालय क्षेत्र के तिब्बत से लगे रहने के कारण भूराजनीतिक दृष्टि से और समुचित आर्थिक विकास एवं प्रशासनिक सुविधा के लिए इस क्षेत्र को अपेक्षाकृत छोटे जिलों में विभाजित किया गया है। इसी नीति के अंतर्गत टिहरी-गढ़वाल-क्षेत्र में से बना यह एक नवनिर्मित जिला है। अब यह नवनिर्मित उत्तराँचल राज्य का अंग है।

इस जिले की उत्तरी सीमा पर भारत तिब्बत अंतर्राष्ट्रीय सीमा, पूर्व में चमोली और टिहरी गढ़वाल, दक्षिण में टिहरी गढ़वाल तथा देहरादून, दक्षिण पश्चिम में हिमाचल प्रदेश के कन्नौर और महासू जिले हैं। इसका क्षेत्रफल ८,०१६ वर्ग कि.मी. है और इस प्रकार यह उत्तरप्रदेशीय हिमालयी जिलों में द्वितीय बृहत्तम (प्रथम चमोली ९,१२५ वर्ग कि.मी.) है और पूरे उत्तर प्रदेश में चतुर्थ बृहत्तम किंतु जनसंख्या में सबसे कम (१९७१ में कुल १,४७,८०५) और न्यूनतम घना आबाद (प्रतिवर्ग कि.मी., १८ व्यक्ति) जिला है। इसका कारण यह है इसका अधिकांश भाग वर्ष भर हिमाच्छादित उच्च पर्वतीय घासों तथा अनुर्वर एवं बीहड़ भागों से भरा है और जलवायु तथा प्राकृतिक संसाधान निवास के योग्य नहीं है। गंगोत्तरी एवं यमुनोत्तरी इसी जिले में पड़ते हैं-टोंस, यमुना और भागीरथी प्रमुख नदियाँ हैं। केवल सँकरी नदीघाटियों और दक्षिणी भागों में अधिकांश लोग भेड़ आदि पालकर तथा जौ, झरगोड़ा, कों दो, कुटकी आदि की खेती द्वारा अपना पालन करते हैं। जिले को चार तहसीलों (पुरौला, राजगढ़, डूँडा और भटवारी) में बाँटा गया है। उत्तरकाशी (१९७१ में जनसंख्या ६,०२०) जिले का केंद्र और व्यापारिक कस्बा है तथा एक ओर मोटर योग्य सड़क द्वारा टिहरी से और दूसरी ओर साधारण मार्गों द्वारा गंगोत्तरी, भटवारी, बरकोट आदि से जुड़ा हुआ है। जिले की कुल जनसंख्या में चौथाई लोग (३४,१८९) अनुसूचित जाति के हैं। (का.ना.सिं.)