उत्तर राजा विराट का पुत्र। पांडव अज्ञातवास में जब विराट के यहाँ रह थे और उनके अज्ञातवास की अवधि लगभग समाप्त हो चुकी थी तब भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण आदि महारथियों के साथ कौरवों ने विराट की गौशाला से अनेक गायों का अपहरण किया। उत्तर उनसे युद्ध करने गया लेकिन कौरवों की विशाल सेना को देखकर घबराने लगा। तब बृहन्नला रूपधारी अर्जुन ने इसे अपना वास्तविक परिचय दिया और साहस बँधाया। इस युद्ध में इसने अर्जुन के सारथी के रूप में काम किया। महाभारत युद्ध में पांडवों की ओर से लड़ते समय शल्य के हाथों इसकी मृत्यु हुई थी। (कै.चं.श.)