उच्चैश्रवा या उच्चै:श्रवस् समुद्रमंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक। इसे इंद्राश्व भी कहा जाता है क्योंकि समुद्र से निकलने के पश्चात् यह इंद्र को प्राप्त हुआ था। इसका वर्ण श्वेत, कान खड़े और सात मुँह बताए जाते हैं। इसकी कीर्ति और श्रुर्ति अतिशीघ्र सर्वत्र फैली, इसलिए इसका उच्चैश्रवा नाम रखा गया। (कै.चं.श.)