उग्रचंडी दुर्गा का एक नाम। दक्ष ने अपने यज्ञ में सभी देवताओं को बलि दी, लेकिन शिव और सती को बलि नहीं दी। इससे क्रुद्ध होकर, अपमान का प्रतिकार करने के लिए इन्होंने उग्रचंडी के रूप में अपने पिता के यज्ञ का विध्वंस किया था। इनके हाथों की संख्या १८ मानी जाती है। आश्विन महीने में कृष्णपक्ष की नवमी दिन शाक्तमतावलंबी विशेष रूप से उग्रचंडी की पूजा करते हैं। (कै.चं.श.)