ईश्वरीय सहयोग (कॉन्फ़रेंस) संत आगस्तिन द्वारा प्रतिपादित एक दार्शनिक मतवाद जिसे 'दैवी सहायता' की संज्ञा से भी जाना जाता है। इस मतवाद के अनुसार मानव मूलत: नैतिक प्राणी था क्योंकि ईश्वर ने इस संसार और मानव को 'असत्' से नहीं बल्कि 'सत्' से बनाया है। लेकिन बाद में ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं कि मानव का 'नैतिक पतन' हो गया जिसके कारण उसे सदा सर्वदा के लिए ईश्वर के अनुग्रह और सहायता पर निर्भर होना पड़ा। ईश्वर के सहकार्य के बिना उसकी क्रियाशीलता बिल्कुल ही कमजोर हो गई और अब ईश्वरीय सहयोग के बिना मानव नैतिक जीवन नहीं बिता सकता। (कै.चं.श.)