ईशानवर्मन् यह कन्नौज का मौखरी नृपति था। उसके पहले के तीन राजा अधिकतर उत्तरयुगीन मागध गुप्तों के सामंत नृपति रहे थे। ईशानवर्मन् ने उत्तर गुप्तों का आधिपत्य कन्नौज से हटाकर अपनी स्वतंत्रता घोषित की। उसकी प्रशस्ति में लिखा है कि उसने आंध्रों को परास्त किया और गौड़ों को अपनी सीमा के भीतर रहने को मजबूर किया। इसमें संदेह नहीं कि यह प्रशस्ति मात्र प्रशस्ति है क्योंकि ईशानवर्मन् के आंध्रों अथवा गौड़ राजा के संपर्क में आने की संभावना अत्यंत कम थी। गौड़ों और मौखरियों के बीच तो स्वयं उत्तरकालीन गुप्त ही थे जिनके राजा कुमारगुप्त ने, जैसा उसके अभिलेख से विदित है, ईशानवर्मन को परास्त कर उसके राज्य का कुछ भाग छीन लिया था। (ओं.ना.उ.)