ईवाल, योहान (१७४३-१७८१) डेनमार्क के सबसे महान् कवि। कोपेनहेगेन में जन्म। १५ साल की उम्र में शादी कर ली और सेना में भर्ती हो गए। सप्तवर्षीय युद्ध से लौट कर फिर उन्होंने पढ़ा लिखा। २३ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने बादशाह के मरने पर जो मरसिया लिखा वह असाधारण सुंदर माना जाता है। उनका नाट्यकाव्य 'आदम ओग ईवा' डेनमार्क की सुंदरतम रचनाओं में से है। ईवाल ने ही पहला मौलिक दु:खांत नाटक लिखा है। उसके बाद अगले १० वर्षों में वे एक से एक सुंदर रचनाएँ प्रकाशित करते गए। १७७९ ई. में उन्होंने अपनी सबसे सुंदर रचना गेय नाटिका 'फ़िसिकेर्ने' लिखी जिसमें डेनमार्क का राष्ट्रीय गान प्रस्तुत हुआ। इसने और 'बालदेर की मृत्यु' ने उनकी ख्याति डेनमार्क की सीमाओं के बाहर पहुँचा दी। उनकी शैली में बड़ी ताजगी और रवानी है और उन्होंने डेनमार्क के साहित्य को वह कुछ दिया है जो वर्ड्सवर्थ ने अंग्रेजी को और गेटे तथा शिलेर ने जर्मन साहित्य को। घोड़े से गिरकर वे पंगु हो गए और अंत में क्षय रोग के ग्रास बने। (ओं.ना.उ.)