ईर्या समिति निरीक्षण के साथ गमन अर्थात् देख देखकर चलना। जैनमतानुसार सूर्योदय के पश्चात् लोगों के आवागमन से मार्ग मर्दित होने पर जैन मुनियों के लिए साढ़े तीन हाथ आगे देखकर चलने का नियम है। यह नियम इस कारण रखा गया है कि रास्ते पर घूमने फिरनेवाले कीड़े फतिंगे दिखाई पड़ें और उन्हें कुचलने से बचाया जा सके। (कै.चं.श.)