इसोक्रेतिज़ (ई.पू. ४३६-३३८) एथेंस निवासी वक्ता, शिक्षक, शैलीकार और लेखक जिन्होंने प्रोदिकस, प्रोतागोरस, गोर्गियास एवं सुकरात से शिक्षा प्राप्त की थी। इनके पिता थियोदोरस संपन्न व्यक्ति थे, पर उनकी मृत्यु के पश्चात् पेलोपोनेसस के युद्ध में इनकी संपत्ति नष्ट हो गई। अतएव इन्होंने जीविका के लिए शिक्षक की वृत्ति स्वीकार कर ली। कुछ समय इन्होंने कियोस में शिक्षक का कार्य किया। उस समय की शिक्षा अधिकांश में कानूनी और राजनीतिक वक्तृता देने की शिक्षा होती थी। वाणीदोष एवं स्नायविक शैथिल्य के कारण यह स्वयं सक्रिय वक्ता नहीं बन सके पर दूसरों के लिए इन्होंने बहुत सी वक्तृताएँ लिखीं। ई.पू. ३९२ के आसपास इन्होंने एथेंस में एक विद्यालय स्थापित किया जो निरंतर विकसित होता गया। अपने शिष्यों प्रशिप्यों द्वारा उनका प्रभाव देशकाल में दूर-दूर तक फैला। कहते हैं, ९८ वर्ष की अवस्था में इन्होंने आत्मघात द्वारा शरीर त्यागा।
एथेंस के शिक्षकों में इसोक्रेतिज़ का नाम अमर है। इनके शिक्षासिद्धांतों में आदर्शवाद, व्यावहारिकता और दार्शनिक विचारों का संतुलित सम्मिश्रण था। इन्होंने उन सोफिस्त शिक्षकों की निंदा की है जो अपने शिष्यों के प्रति लंबे चौड़े दावे करते हैं पर वास्तव में कर कुछ भी नहीं पाते। इसके अतिरिक्त केवल निष्क्रिय दार्शनिक, अथवा केवल स्वार्थसाधक व्यवहार कुशल व्यक्ति का जीवन भी उनका आदर्श नहीं था। वे सर्वागीण विकास के पोषक थे। उनके सामाजिक और राजनीतिक विचार भी अपने समय की दृष्टि से अधिक प्रगतिशील थे। उनका जातिप्रेम नगरराष्ट्र तक सीमित न था, प्रत्युत वह आजीवन समस्त ग्रीक जाति की एकता के लिए प्रयत्नशील रहे। आरंभ में उनकी इच्छा यह थी कि सब नगरराष्ट्र आपस में मिलकर संगठित हो जाएँ, पर अंत में उनका विचार यह बन गया कि यदि कोई सशक्त शासक समस्त ग्रीक जगत् को अपने शासन के अधीन कर ले और फारस का दमन करे तो भी ठीक है। फिलिप के ऐसे शासक के रूप में सफल होने पर उनको संतोष हुआ।
इसोक्रेतिज़ की बहुत सी रचनाएँ, वक्तृताएँ और पत्र उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ का विषय शिक्षणकला है, कुछ का राजनीति और कुछ का ग्रीक संस्कृति। एक दो रचनाएँ आत्मकथात्मक भी हैं। प्रमुख रचनाओं के नाम अंतिदोसिस, पानोगिरिकस, अरेओपागितिकस, ऐवागोरस, पानाथेनाइकस, और फिलिप्पस हैं। उनकी शैली की विशेषताएँ गंभीरता, सुस्वनता, स्वरांत और स्वरादि शब्दों को पास पास न आने देना, इत्यादि हैं। उनका शब्दचयन भी शुद्ध एवं निर्दोष है। सिसरों के माध्यम से वे यूरोप की आधुनिक गद्यशैली तक को प्रभावित किए हुए हैं। इसोक्रेतिज़ के समान सफल शिक्षक बहुत कम हुए हैं। कहते हैं, कारिया नगर की रानी आर्तेमिसिया ने जब अपने पति की स्मृति में एक व्याख्यान प्रतियोगिता का आयोजन किया तो उसमें भाग लेनेवाले सब वक्ता इसोक्रेतिज़ के शिष्य थे।
सं.ग्रं.-नौर्लिन ऐंड वान् हुक : इसोक्रेतिज़ की रचनाएँ, अंग्रेजी अनुवाद सहित, लोएब क्लासिकल लाइब्रेरी; आर.सी.जैब् : ऐंटिक औरेटर्स फ्रॉम अंतिफॉन टु इसीअस् १८९३। (भो.ना.श.)