इसहाक़ यहूदियों के आदि पैगंबर हज़रत इब्राहिम के पुत्र। इनकी माँ का नाम सारा था। सुमेर के प्राचीन नगर ऊर में इनका जन्म हुआ। इनके जन्म के समय सुमेर में नरबलि की प्रथा थी। लोग अपने पुत्र की बलि कर यज्ञ की अग्नि में उसे आहुति के रूप में चढ़ाते थे। इनके पिता इब्राहिम ने भी इनकी बलि चढ़ाने का आयोजन किया। 'तौरेत' के अनुसार जिस समय इब्राहिम ने हवन की वेदी पर लकड़ियाँ चुनने के बाद अपने पुत्र इसहाक़ का अपने हाथ से वध कर आग में डालने के लिए खड्ग उठाया उसी समय, कहते हैं, परमात्मा ने स्वयं प्रकट होकर उनका हाथ रोक लिया और उनकी निष्ठा की प्रशंसा और उन्हें पुत्रबलि से विरत करते हुए पीछे की ओर संकेत किया। इब्राहिम ने जो पीछे मुड़कर देखा तो झाड़ी में एक मेढ़े को फँसा हुआ पाया। उन्होंने ईश्वरीय आज्ञा के अनुसार पुत्र की जगह यज्ञ में मेढ़े की बलि चढ़ाई।
इसहाक़ के दो बेटे थे-याकूब और ईसाउ। याकूब का ही दूसरा नाम इसरायल था जिसके कारण यहूदी जाति 'बनी इसरायल' अर्थात् इसरायल की संततिं' के नाम से मशहूर हुई। बाइबिल के अनुसार इसहाक़ ने ही उस समय के खानाबदोश समाज में खेती का धंधा प्रारंभ किया।
सं.ग्रं.-बाइबिल (पुराना अहदनामा); विश्वंभरनाथ पांडे: यहूदी धर्म और सामी संस्कृति (१९५५)। (वि.ना.पां.)