ध्यानचंद, मेजर जन्म २९ अगस्त, सन् १९०५ ई. को इलाहाबाद में हुआ था। जाति के राजपूत हैं। हॉकी के विश्वविख्यात खिलाड़ी हैं। १९२२ ई. में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में भर्ती हुए। सन् १९२७ ई. में लांस नायक बना दिए गए। सन् १९२३ ई. में लॉस ऐंजल्स जाने पर नायक नियुक्त हुए। सन् १९३७ ई. में जब भारतीय हाकी दल के कप्तान थे तो उन्हें जमादार बना दिया गया। जब द्वितीय महायुद्ध प्रारंभ हुआ तो सन् १९४३ ई. में 'लेफ्टिनेंट' नियुक्त हुए और भारत के स्वतंत्र होने पर सन् १९४८ ई. में कप्तान बना दिए गए।

जब ये ब्राह्मण रेजीमेंट में थे उस समय मेजर बले तिवारी से, जो हाकी के शौकीन थे, हाकी का प्रथम पाठ सीखा। सन् १९२२ ई. से सन् १९२६ ई. तक सेना की ही प्रतियोगिताओं में हाकी खेला करते थे। दिल्ली में हुई वार्षिक प्रतियोगिता में जब इन्हें सराहा गया तो इनका हौसला बढ़ा। १३ मई, सन् १९२६ ई. को न्यूजीलैंड में पहला मैच खेला था। न्यूजीलैंड में २१ मैच खेले जिनमें ३ टेस्ट मैच भी थे। इन २१ मैचों में से १८ जीते, २ मैच अनिर्णीत रहे और और एक में हारे। पूरे मैचों में इन्होंने १९२ गोल बनाए। उनपर कुल २४ गोल ही हुए।

ओलंपिक प्रतियोगिता में (अमस्तरदम में) १७ मई, सन् १९२८ ई. को आस्ट्रिया को ६-०, १८ मई को बेल्जियम को ९-०, २० मई को डेनमार्क को ५-०, २२ मई को स्विट्जरलैंड को ६-० तथा २६ मई की हालैंड को ३-० से हराकर विश्व भर में हॉकी के चैंपियन घोषित किए गए और २९ मई को उन्हें पदक प्रदान किया गया।

२७ मई, सन् १९३२ ई. को श्रीलंका में दो मैच खेले। ए मैच में २१-० तथा दूसरे में १०-० से विजयी रहे। ४ अगस्त, १९३२ ई. को ओलंपिक खेलों में जापान की ११-१ तथा ११ अगस्त को अमरीका को २४-१, से हराकर पुन: विश्वविजयी हुए।

सन् १९३५ ई. में भारतीय हाकी दल के न्यूजीलैंड के दौरे पर इनके दल ने ४९ मैच खेले। जिसमें ४८ मैच जीते और एक वर्षा होने के कारण स्थगित हो गया। १७ जुलाई, १९३६ ई. को जर्मन एकादश से पहला मैच खेला और १-४ से हार गए।

५ अगस्त, १९३६ ई. को हंगरी के विरुद्ध खेले और ४-० से जीते। ७ अगस्त को ७-० से अमरीका को हराया और १० अगस्त को जापान को ९-० से परास्त किया। १२ अगस्त को फ्रांस को १०-० से हराया। १५ अगस्त को फाइनल में जर्मनी को ८-१ से परास्त किया और पुन: विश्वविजयी हुए।

अप्रैल, १९४९ ई. को प्रथम कोटि की हाकी से संन्यास ले लिया। (रामस्वरूप)