केनेडी, जॉन फिट्जेराल्ड अमरीका के ३५वें राष्ट्रपति। जन्म २९ मई, सन् १९१७ ई. को बोस्टन के ब्रुकलिन उपनगर में हुआ था। पिता का नाम श्री जोसेफ केनेडी एवं माता का नाम श्रीमती रोज फिट्जेराल्ड केनेडी था। इनके पूर्वज आयरलैंड से आए थे। न्यू इंग्लैंड (पूर्वोत्तर अमरीका) के राजनीति जीवन में इस परिवार का प्रमुख स्थान था। बोस्टन में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् श्री केनेडी ने लंदन स्कूल ऑव इकानामिक्स में विद्याध्ययन किया जहाँ उनके प्रोफेसर लेबर पार्टी के विचारक हेराल्ड लास्की भी थे। इन्होंने हारवर्ड और मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालयों में अपना अध्ययन पूर्ण किया।

विद्यार्थी जीवन में पीठ पर लगी फुटबाल की चोट के कारण इन्हें स्थल सेना में प्रवेश न मिल सका। सैनिक सेवा के लिए दृढ़प्रतिज्ञ होने के कारण इन्होंने इस चोट की विशेष चिकित्सा कराई, आवश्यक व्यायाम किया और इसके बाद नौसेना में कमीशनप्राप्त अधिकारी के रूप में भर्ती कर लिए गए : इन्हें कार्यालय में बैठकर कार्य करने का आदेश मिला; किंतु यह उन्हें रुचिकर न लगा, अत: इन्होंने गश्त लगानेवाली टारपीडो नौका पर ड््यटूी लगाने का अनुरोध किया। अंततोगत्वा इन्हें प्रशांत महासागर क्षेत्र में भेज दिया गया। २ अगस्त, १९४३ ई. को गश्त करनेवाली टारपीडो नौका पी. टी. १०९, जिसके ये लैफ्टिनेंट थे, को एक जापानी विध्वंसक ने दो टुकड़ों में खंडित कर दिया। दुर्घटना में उनकी पीठ पर चोट लगी परंतु इसके बावजूद ये समुद्र में कूद गए और अपने कई साथियों के प्राणों की रक्षा की। डूबती हुई टारपीडो नौका से बुरी तरह घायल एक साथी को एक जीवनपेटी की सहायता से बचाकर एक द्वीप पर ले गए। शत्रु अधिकृति उस क्षेत्र में एक सप्ताह का कष्टमय जीवन व्यतीत करने के पश्चात् अपनी टुकड़ी को सुरक्षित क्षेत्र में ले आए। इस प्रकार इन्होंने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया जिसके फलस्वरूप इन्हें नौसेना एवं मैरिन कोर का पदक देकर सम्मानित किया गया।

सन् १९४५ ई. में नौसेना की सेवा से अवकाश ग्रहण करने पर इन्होंने पत्रसंपादक के रूप में कार्य आरंभ किया और सन् १९४६ ई. में राजनीतक की ओर उन्मुख हुए। सन् १९४८ में बोस्टन क्षेत्र से प्रतिनिधि सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और सन् १९५६ ई. में अमरीका के उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में असफल रहे। सन् १९६० ई. में ये डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हुए और ८ नवंबर, सन् १९६० ई. में लगभग ४३ वर्ष की आयु में प्रथम रोमन कैथलिक राष्ट्रपति बने।

२० जनवरी, सन् १९६१ को शपथ ग्रहण के अवसर पर अपने उद्घाटन भाषण में इन्होंने अपने देशवासियों और संपूर्ण विश्व के लोगों से अनुरोध किया कि वे मानव के सामान्य शत्रुओं-अत्याचार, दरिद्रता, रोग एवं युद्ध के विरुद्ध सहयोग प्रदान करें। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इन्होंने एक नई पीढ़ी और एक नवीन प्रशासन की शक्ति और त्याग को प्रयुक्त करने की प्रतिज्ञा की।

राष्ट्रपति की हैसियत से अपनी कार्यावधि के प्रथम सौ दिनों के अंदर, जो किसी नए प्रशासन के लिए परंपरागत रूप में कठिन अवधि होती है, इन्होंने कांग्रेस के समक्ष शिक्षा के हेतु संघीय सहायता के लिए एक कार्यक्रम और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक प्रस्ताव प्रस्तुत किए। अपने प्रशासन के अंतर्गत विद्वानों और अन्य बुद्धिजीवियों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया। ह्वाइट हाउस में इन्होंने अगणित कलाकारों को आमंत्रित कर सांस्कृति क्षेत्र को राजकीय मान्यता प्रदान की।

देश के आंतरिक पक्ष में, इन्होंने करों में कटौती, औद्योगिक ढाँचे के परिवर्तनों से प्रभावित होकर आर्थिक दृष्टि से क्षतिग्रस्त होनेवाले क्षेत्रों के लिए सहायता, एक विस्तृत आवास-व्यवस्था-कार्यक्रम, वृद्धजनों के लिए चिकित्सा व्यवस्था, नागरिक अधिकार कानूनों के दृढ़ीकरण जैसे कार्यों और उपायों पर बल दिया।

अंतरराष्ट्रीय मामलों में श्री कैनेडी ने बर्लिन में तनाव कम करने के लिए अपने देश के प्रयास को जारी रखा। स्वतंत्र एवं तटस्थ लाओस के निर्माण पर बल दिया। प्रभावकारी आणविक परीक्षा प्रतिबंध संधि के लिए आह्वान किया, सर्वव्यापक नि:शस्त्रीकरण संधि संपन्न करने के किये प्रयत्न किया तथा एशिया के विकासोन्मुख राष्ट्रों को सहायता का वचन दिया।

अक्टूबर, सन् १९६२ ई. में अमरीकी राष्ट्र संघटन (आर्गनाइजेशन ऑव अमरीकन स्टेट्स) के सर्वसम्मतिपूर्ण समर्थन से तथा 'मेनरो सिद्धांत' की धारणा के अनुसार इन्होंने क्यूबा में सोवियत आक्रामक शस्त्रास्त्र संग्रहों के चोरी-चोरी हो रहे निर्माण को रोकने तथा उन्हें वहाँ से हटा लिए जाने के लिए तत्काल कार्रवाई की। इस सिलसिले में अमरीका ने जो सुदृढ़ दृष्टिकोण अपनाया उसके परिणामस्वरूप आक्रामक शस्त्रास्त्रों के प्रश्न पर सोवियत संघ के साथ युद्ध का संकट टला।

श्री केनेडी अपने प्रशासन के सभी निर्णयों के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी रहे।

२२ नवंबर, सन् १९६३ ई. को अमरीका के दक्षिण शहर डलास में २५ मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हुई उनकी कार पर कहीं से कुछ खूनी गोलियाँ छूटीं और राष्ट्रपति केनेडी का आहत शरीर एक ओर लुढ़क पड़ा। ३० मिनट के पश्चात् अमरीका के सबसे युवा एवं उत्साही, एवं शांतिप्रेमी राष्ट्रपति जान फिट्जेराल्ड केनेडी का निधन हो गया। (रामस्वरूप)