हैमलेट शेक्सपियर का एक दु:खांत नाटक है, जिसका अभिनय सर्वप्रथम सन् १६०३ ई. तथा प्रकाशन सन् १६०४ ई. के लगभग हुआ था।
डेनमार्क का राजा क्लाडियस अपने भाई की हत्या करके सिंहासनारूढ़ हुआ। मृत राजा की पत्नी गरट्रूड, जिसकी सहायता से हत्या संपन्न हुई थी, अब क्लाडियस की पत्नी तथा डेनमार्क की महारानी बन गई। इस प्रकार अपने पिता की मृत्यु के बाद मृत राजा का पुत्र हैमलेट उत्तराधिकार से वंचित रह जाता है। हैमलेट तब विटेनबर्ग से, जहाँ वह विद्यार्थी था, वापस लौटता है तब उसके पिता की प्रेतात्मा उसे क्याडियस और गरट्रूट के अपराध से अवगत कराती है तथा क्लाडियस के प्रति प्रतिहिंसा के लिए प्रेरित करती है। हैमलेट स्वभाव से विषादग्रस्त तथा दीर्घसूत्री है, अत: वह प्रतिहिंसा का कार्य टालता जाता है। अपनी प्रतिहिंसा की भावना छिपाने के लिए हैमलेट एक विक्षिप्त व्यक्ति के समान व्यवहार करता है जिससे लोगों के मन में यह धारण होती है कि वह लार्ड चेंबरलेन पोलोनियस की पुत्री ओफीलिया के प्रेम में पागल हो गया है। ओफीलिया को उसने प्यार किया था किंतु बाद में उसके प्रति हैमलेट का व्यवहार अनिश्चित एवं व्यंगपूर्ण हो गया। अपने पिता की प्रेतात्मा द्वारा बताए हुए जघन्य तथ्यों की पुष्टि हैमलेट एक ऐसे नाट्य अभिनय के माध्यम से करता है जिसमें उसके पिता के वध की कथा दुहराई गई है। क्लाडियस की तीव्र प्रतिक्रिया से हैमलेट के मन में यह निश्चित हो जाता है कि प्रेतात्मा द्वारा बताई हुई बातें सत्य हैं। नाट्य अभिनय के उपरांत वह अपनी माता की भर्त्सना करता है। तथा क्लाडियस के धोखे में परदे के पीछे छिपे हुए पोलोनियस को मार डालता है। अब क्लाडियस हैमलेट की हत्या के लिए व्यवस्था करता है और इस अभिप्राय से उसे इंग्लैंड भेजता है। रास्ते में समुद्री डाकू उसे बंदी बनाते हैं और वह डेनमार्क लौट आता है। ओफीलिया की मृत्यु होती है तथा पोलोनियस का पुत्र एवं ओफीलिया का भाई लेयरटीज हैमलेट को द्वंद युद्ध के लिए चुनौती देता है। लेयरटीज को क्लाडियस का समर्थन प्राप्त है। वह विष से बुझी हहुई तलवार देकर हैमलेट से लड़ता है। दोनों घायल होते हैं और मरते हैं। अपनी मृत्यु के पूर्व हैमलेट क्लाडियस को मार डालता है और गरट्रूड भी अनजाने में विष मिली हुई मदिरा पीकर मर जाती है।
इस नाटक में अनेक महत्वपूर्ण नैतिक और मनोवैज्ञानिक प्रश्नों का समावेश हुआ है तथा समीक्षकों ने इसमें निबद्ध समस्याओं पर गंभीर विचार प्रकट किए हैं। (रा. प्र. द्वि.)