हेस्टिंग्स, फ्रांसिस रॉडन सर जॉन रॉडन का पुत्र फ्रांसिस रॉडन हेस्टिंग्स ९ सिंबर, १७५४ ई. को आयरलैंड के उच्च सामंत परिवार में उत्पन्न हुआ। वह दक्ष सेनानी तथा कुशल व्यवस्थापक था। उसकी शिक्षा हैरो तथा ऑक्सफर्ड में संपन्न हुई। सत्रह वर्ष की अवस्था में उसने सेना में प्रवेश किया। आंग्ल-अमरीकी युद्ध (१७७५-८२) में उसने भाग लिया। पिता की मृत्यु पर उसने अर्ल ऑव मोयरा का पद ग्रहण किया (१७९३); तथा १८०४ में उसने विवाह किया।

लार्ड मिंटो के बाद१८१३ में हेस्टिंग्स भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त हुआ। ब्रिटिश साम्राज्य के उत्तरी सीमांत पर गुरखों की अप्रगामी नीति के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंध नैपाल से विकृत हो चुके थे। तज्जनित युद्ध में नेपाल को, पराजित हो, अंगरेजों से समौली की संधि करनी पड़ी। इस सफलता के फलस्वरूप हेस्टिंग्स मारक्विस ऑव हेस्टिंग्स कर पदवी से विभूषित हुआ।

हेस्टिंग्स ने पिंडारियों के संरक्षक सिंधिया को कूटनीति द्वारा उनसे विलग कर दोनों को अशक्त बना दिया। फिर उसने पिंडारियों का मूलोच्छेदन कर दिया। पठानों को दबाने में भी वह पूर्ण सफल हुआ। तदनंतर अंतिम आंग्ल मराठा युद्ध में, पेशवा बाजीराव को पराजित कर, हेस्टिंग्स ने मराठा साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। अंत में सिंधिया, होल्कर तथा बरार के राजा को शक्तिहीन बना भारत में अंगरेजों की सार्वभौम सत्ता स्थापित कर दी। सौभाग्य से उसे ब्रिटिश भारत के योग्यतम अधिकारियों - एल्फिंस्टन, मनरो, मेटकाफ, मैल्कम तथा ओक्टरलोनी - का सहयोग प्राप्त था। युद्धों के बावजूद उसने खजाने में प्राय: दो करोड़ रुपयों की बचत की। भारतीयों में शिक्षा को प्रोत्साहन दिया। प्रेस की स्वतंत्रता का अनुमोदन किया। भारत में उसके अंतिम दिन डबल्यू. पामर ऐंड कंपनी नामक व्यापारी संस्था से संबंधित आलोचना के कारण कटु प्रमाणित हुए। अत: १८२१ में उसने त्यागपत्र दे दिया किंतु अपनी अवधि समाप्त कर १ जनवरी, १८२३ में उसने भारत छोड़ा। इंग्लैंड पहुँचने पर वह माल्टा का गवर्नर नियुक्त हुआ। वहीं घोड़े से गिर कर आहत होने के कारण २८ नवंबर, १८२६ को उसकी मृत्यु हो गई।

सं. ग्रं. - जे. एफ. रॉस : द मारक्विस ऑव हेस्टिंग्स; मारशोनस ऑव व्यूट (एडिटर) : दि प्राइवेट जर्नल ऑव द मारक्सि ऑव हेस्टिंग्स; एच. टी. प्रिंसैंथ : ऐडमिनिस्ट्रेशन ऑव द मारक्विस ऑव हेस्टिंग्स। (राजेंद्र नागर)