हेल्म हॉल्ट्ज़, हेर्मान लुडविख फर्डिनैंड फॉन (सन् १८२१-१८९४), जर्मन शरीर क्रिया वैज्ञानिक तथा भौतिकी विज्ञानी, का जन्म पॉट्सडैम नामक स्थान में हुआ था। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् आपने सेना में सर्जन के पद से जीवन आरंभ किया पर सन् १८४५ में कनिक्सबर्ग में, सन् १८५५ में बॉन तथा १८५८ में हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालयों में शरीर क्रिया विज्ञान के प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् १८७१ में आपने बर्लिन विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर तथा शार्लेंटनबर्ग में भौतिकीय प्राविधि संस्थान के निदेशक के पद सँभाले। यहाँ आप जीवन पर्यंत रहे।
हेल्म हॉल्ट्ज़ ने शरीर क्रिया विज्ञान से लेकर यांत्रिकी तक के विविध क्षेत्रों में अनुंसधान किए। सन् १८४७ में इस विषय पर लिखे आपके लेख के कारण आप 'ऊर्जा की अविनाशिता' नामक प्राकृतिक नियम के संस्थापक माने जाते हैं। सन् १८५१ में इन्होंने 'नेत्रांतर्दशी' (Opthalmoscope) का आविष्कार किया। शरीर क्रिया वैज्ञानिक प्रकाशिकी के क्षेत्र में अपकी अन्य देन भी अत्यंत महत्व की हैं, जैसे चक्षुओं के प्रकाशिक नियतांक नापने के लिए आपने विशेष यंत्र बनाए तथा वर्णदर्शन (Colour vision) संबंधी सिद्धांत प्रतिपादित किया। 'स्वर संवेदन' (Sensations of Tone) पर आपने जो पुस्तक लिखी, वह शरीर क्रियात्मक ध्वनिकी (Physiological acoustics) की आधारशिला हो गई। हेल्म होल्ट्ज ने विद्युत् दोलन तथा तरल गतिकी के क्षेत्र में श्रेष्ठ अनुसंधान किए तथा द्रव पदार्थ की श्यानता नापने की एक सुंदर रीति निकाली।
हेल्म हॉल्ट्ज अनुभववादी थे। नैसर्गिक (innate) भावनाओं में उनका विश्वास नहीं था। उनकी धारणा थी कि सब ज्ञान अनुभव पर आधारित होता है जिसका एक अंश एक पीढ़ी से दूसरी को वंशगत प्राप्त हो जाता है। (भगवान दास वर्मा)