हेनरी स्टील ऑलकॉट, कर्नल थियोसाफिस्ट प्रचारक और 'थियोसॉफिकल सोसाइटी' के संस्थापक सदस्य। २ अगस्त, १८३२ को अमरीका के न्यूजर्सी राज्य के आरेंज नामक स्थान में जन्म हुआ। पहले न्यूयार्क में फिर कोलंबिया विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। आरंभ से ही अध्यात्म में उनकी रुचि हो गई और वे 'न्यूयार्क सन' के संवाददाता के रूप में 'एडी' परिवार की चमत्कारिक घटनाओं की जाँच करने के लिए नियुक्त हुए। तत्पश्चात् वह बहुत समय तक 'न्यूयार्क ग्राफिक' में अध्यात्मवाद और आत्मा संबंधी विभिन्न घटनाओं पर लेख लिखते रहे। इसी समय पहली बार १८७४ में मैडम ब्लैवेंट्स्की से उनकी भेंट हुई। उन दोनों ने डब्ल्यू. क्यू. जज के साथ १७ नवंबर, १८७५ को थियोसॉफिकल सोसाइटी की स्थापना की। आलकॉट आजीवटन सोसाइटी के अध्यक्ष रहे। १८७० में आलकॉट मैडम ब्लैवेंट्स्की तथा अन्य साथियों में साथ भारत आए और यहाँ थियोसॉफिकल सोसाइटी की स्थापना से लेकर उसके संगठन और प्रशासन में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे।
१८८० में मैडम ब्लैवेंट्स्की के साथ उन्होंने सीलोन की यात्रा की और वहाँ उन्होंने ब्लैवेंट्स्की सहित अपने को बुद्ध की शिक्षाओं तथा पंचशील का अनुयायी घोषित किया। सीलोन में उन्होंने बौद्ध शिक्षासंस्थाओं को संगठित करने में बहुत परिश्रम किया; व्याख्यान दिए, धन एकत्र किया। कोलंबों में बुद्धिस्ट थियोसॉफिकल सोसाइटी संगठित की, जो आज भी एक बड़ी शिक्षासंस्था के रूप में कार्य कर रही है।
कर्नल आलकॉट मेस्मेरिज़्म द्वारा चिकित्सा में सिद्धहस्त थे, उसका प्रयोग उन्होंने बहुत दिनों तक भारत और सीलोन में किया। उनकी लिखित कुछ पुस्तकें ये हैं : 'द बुद्धिस्ट कैटशिज्म' (बौद्ध प्रश्नोत्तरी) उनकी सर्वोत्कृष्ट कृति है। 'पीपुल फ्राम द अदर वर्ल्ड' में आध्यात्मिक घटनाओं का विवेचन है। (सो. वा.)