हूनान प्रांत दक्षिणी मध्य चीन में तुंगतिंग झील के दक्षिण में स्थित एक प्रांत है। इसके उत्तर में हूये, पश्चिम में सचवान और क्विचाऊ, दक्षिण में क्वांगसी और क्वांगतुंग तथा पूर्व में कियांगसी प्रांत हैं। हूनान का क्षेत्रफल २०२२४० वर्ग किमी एवं जनसंख्या ३४,२९६,०२९ (१९६०) है। इस प्रांत का दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग पठारी है। उत्तरी पूर्वी भाग तूतलिंग बेसिन का एक निचला भाग है जो काँप मिट्टी का बना हुआ है। तुतलिंग झील में सियांग, यूआन और त्जू (Tzu) नदियाँ गिरती हैं। पठारी भाग मुख्यत: लाल बालू पत्थर द्वारा निर्मित है तथा कहीं कहीं चूनापत्थर एवं ग्रेनाइट भी विद्यमान हैं। हेंगशान, नानलिंग एवं बूलिंग मुख्य पर्वतश्रेणियाँ हैं। यहाँ की जलवायु महाद्वीपीय है। गर्मी की ऋतु में अधिक गरमी तथा जाड़े में ठंडक पड़ती है। धान सबसे महत्वपूर्ण फसल है। गरमी में तूतलिंग झील के समीपवर्ती क्षेत्र से इसकी दो फसलें ली जाती हैं। गेहूँ, सोयाबीन, चाय, रेमी, कपास, तंबाकू एवं जो अन्य उल्लेखनीय फसलें हैं। दक्षिणी पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र में चीड़, ओक, तुंग, सीडार एवं कपूर की लकड़ियों को यू आन और त्जू नदियों में से बहाकर लुगदी कागज के कारखानों को पहुँचाते हैं। हूनान में पर्याप्त खनिज संपदा है। ऐंटीमनी एवं पारे के उत्पादन में चीन में इसका प्रथम स्थान है। सोना, सीसा, जस्ता, टंगस्टन, कोयला, टिन, मालिब्डेनम और गंधक अन्य महत्वपूर्ण खनिज हैं। चांगसा इस प्रांत की राजधानी है। धातुशोधन का कार्य प्रमुख स्थान रखता है। कृत्रिम रेशमी वस्त्र, कागज, पॉर्सिलेन और कढ़ाई अन्य उल्लेखनीय उद्योग हैं। हेंगयांग, चांगतेह, योयांग मुख्य व्यापारिक केंद्र हैं। गमनागमन का मुख्य साधन हांकाऊ कैंटन रेलमार्ग है। मियांग तथा यूआन की निचली घाटियों में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। यहाँ के निवासी चीनी हैं तथा मंदारिन भाषा बोलते हैं। पहाड़ियों में मिआयो और यांओ नामक जनजातियाँ निवास करती हैं। यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से ही चीन के अंतर्गत है। द्वितीय विश्वयुद्धकाल में जापानियों ने कुछ क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था। १९४९ ई. से यह साम्यवादी शासन के अधीन है। (राजेंद्र प्रसाद सिंह)