हिरॉडोटस यूनानी इतिहासकार का जन्म एशिया माइनर में केरिया (Caria) के हालीकारनासस (Halicarnassus) में ईसा से लगभग ४८४ वर्ष पूर्व हुआ था। उसने बड़े विस्तृत भूखंड का भ्रमण किया और इटली के थुरी ब्रूटियम में लगभग ४२४ ई. पू. उसकी मृत्यु हुई।

हेरोडोटस ने यूनान और फारस के युद्ध (४९० ई. पू.-४७९ ई.पू.) से संबंधित 'हिस्टोरिया' (Historiae) के लिए हालीकारनासस को ४५७ ई. पू. में छोड़ा और तत्कालीन ज्ञात संसार के बहुत से देशों का भ्रमण किया। उसने फोनिशिया (Phoenicia), मिस्र, लिबिया, अरब, मेसोपोटामिया, एशिया माइनर, सीथिया (scythia) ्थ्रोस और यूनान की यात्रा की। तत्पश्चात् वह थूरी में निवास करने लगा और वहीं पर इतिहास लिखने का काम किया। यह इतिहास ९ खंडों में है और आइओनिक (lonic) भाषा में लिखा हुआ है। इसमें फारस, लीडिया (Lydia) और मिस्र का पूर्वकालीन इतिहास है और विशेषकर यूनान और फारस के संघर्ष का उल्लेख है। यह इतिहास ४७९ ई. पू. तक का है। इसमें हमें माराथान (Marathon), थर्मोपाइली (Thermopylae) और सालामीज (Salamis) के बारे में बहुत सा ज्ञान प्राप्त होता है। इन ग्रंथों में भावाभिव्यक्ति इतनी उत्कृष्ट है कि प्राचीन काल से ही हिरोडोटस को फादर आव हिस्ट्री या 'इतिहास का जनक' कहा जाता है। उसकी पुस्तकों में इतिहास तथा भूगोल के विस्तृत वर्णन और रहन सहन तथा रीति रिवाज एवं ख्यातप्राप्त महान् व्यक्तियों का चित्रण किया गया है। इस क्रम में एक बहुत बड़े इतिहासकार एडवर्ड गिब्बन (१७३७-१७९४ ई.) ने कहा है, 'हिरोडोटस कभी कभी बच्चों के लिए तो कभी कभी दार्शनिकों के लिए लिखता है'। अत्फ्रडे डी. गाडले का ४ खंडों में 'हिरॉडोटस' १९२०-२४ ई. में लंदन में प्रकाशित हुआ। यूनानी भाषा के साथ साथ अंग्रेजी अनुवाद अत्यंत सुंदर है। (शांतिलाल कायस्थ)